मंगलवार, 27 नवंबर 2012

राजनीति की नालियाँ-गज़ल


उठाते हैं  तूफा  यहाँ  पर  प्यालियों  में    लोग,
जिनमे खाते छेद करते उन्ही थालियों में लोग।
                   पी -पी कर  सत्ता   की  मदिरा  बेहिसाब,
                   लुढ़क गए राजनीति की नालियों में लोग।
हर्ष के उन्माद में जलाकर किसी का  घर,
खो गये अपनी अपनी दीवालियों में लोग। 
                   चुटकी भर खुशहाली पाने की उम्मीद में,
                   जी  रहे  बरसो  से  बदहालियों   में लोग।
चमन में चुन चुन के जो नोचते है कलियाँ,
उन को भी गिन रहे  है  मालियों  में लोग।
                    नपुंसक भीड़ जुटा  करके अपने आस पास,
                    खुश हो रहे खरीदी हुई  तालियों  में  लोग।
या  जोड़ने में  लोग  खर्च कर देते जिन्दगी,
या बिताते है जिन्दगी रखवालियों में लोग।
                    उजाले में जो बाँटते गरीबो  में अन्न बस्त्र,
                    अँधेरे में शामिल वही मवालियो में  लोग।
कालिख को साफ करने के जरिये बहुत है "राज",
सो लगे है कोयले की दलाली में _______लोग।
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2 टिप्‍पणियां:

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