रविवार, 9 दिसंबर 2012

सिक्के के दो पहलू


हर ख़ुशी की आँखों में आँसू  मिले,
एक ही सिक्के के दो पहलू  निकले।
               कौन अपनाता मिला दुर्गन्ध को,
               हर किसी की चाह है खुशबु मिले।
अपने अपने हौसले की बात है,
सूर्य से भिड़ते हुए जुगनू मिले।
              रेत से भी निकल सकता है तेल,
              चाहत है वो कहीं बालू---- मिले।
आँकियें उन्माद -मद -तूफ़ान का,
सैकड़ो उड़ते हुए तम्बू----- मिले।
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3 टिप्‍पणियां:

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