मंगलवार, 5 मार्च 2013

खुद के विवेक



अंधविश्वास पर नहीं खुद के विवेक पर भरोसा करें

 
 


आज भी बड़े पदों पर बैठे कई लोग आपको मिल जायेंगे, जो लकी नंबर, लकी कलर और लकी डे के आधार पर ही काम करते हैं. हर डीलिंग और हर प्रोजेक्ट के पहले ज्योतिषीय सलाह उनके लिए जरूरी होता है. अगर आप भी उसी श्रेणी में आते हैं, तो अब खुद के विवेक पर भरोसा करना शुरू कर दें.इसी संदर्भ में एक कहानी को देखें और मनन करें.
 
एक राजा अपने सारे काम ज्योतिषी से मुहूर्त निकलवा कर किया करते. एक बार उनका मन शिकार पर जाने का किया. राज ज्योतिषी से पूछा, तो उसने बताया- गणना के अनुसार आज का दिन शिकार के लिए बड़ा शुभ है.


राजा अपने दल-बल के साथ राज्य की सीमा से लगे जंगल में पहुंच गया. मार्ग में कुम्हार की एक झोपड़ी दिखायी दी. कुम्हार ने राजा और उसके दल का यथा संभव सत्कार किया और चलते समय एक निवेदन करने की अनुमति मांगी. राजा ने कहा- बोलो कोई समस्या है क्या? कुम्हार ने कहा- इस समय आप महल लौट जायें, शिकार पर जाने से मुसीबत में फंस सकते हैं.
राजा क्रोधित होकर बोला- अनपढ़ मूर्ख. तू क्या मेरे राज ज्योतिषी से ज्यादा जानता है.
अनुचरों ने भी कुम्हार का उपहास उड़ाया और सब जंगल की ओर कूच कर गये. अभी घने जंगल में पहुंचे ही थे कि जोर का आंधी-तूफान शुरू हो गया. तेज आंधी और मुसलाधार वर्षा. आसपास कोई सुरक्षित स्थान नहीं दिख रहा था.
राजा ने सोचा- काश, कुम्हार की बात मान लेता. वह निश्चित ही राज-ज्योतिषी से अधिक ज्ञानी है. तूफान शांत होने पर निराश राजा महल लौट गया. अगले ही दिन राजा ने कुम्हार को बुला कर उसे राज ज्योतिषी की गद्दी पर बिठाने की बात कही.
कुम्हार राजा की कमजोरी भांप चुका था. उसने बुद्धिमता से काम लिया और कहा- महाराज, आंधी तूफानवाली बात तो मैंने अपने गधे को देख कर कही थी. वह अपने कान खड़े कर ढेंचू-ढेंचू बोल कर तूफान का संकेत दे रहा था. आप चाहें, तो गधे को गद्दी पर बिठा सकते हैं. राजा को अपनी भूल का एहसास हो गया था, उस दिन के बाद से उसने ज्योतिषी पर अंधविश्वास करना छोड़ दिया और अपने विवेक से निर्णय लेने लगा.
- बात पते की
* अंधविश्वास आपके काम में एक बड़ी रुकावट है, क्योंकि इसके कारण आपको शर्तो के साथ काम करना पड़ता है.
* अगर आपका भी कोई लकी नंबर या लकी डे है, तो उसे काम के बीच न आने दें.
 
 
                                                                                                                                            
 
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19 टिप्‍पणियां:

  1. bilkul sahi likha hai aap ne,"JIS DIN BHAROSA KHUD PAR KAR LOGE,HIMALAY BHI TUMHE AK BACHHA SA LAGEGA,JINDGI MUSHKURAYEGI AUR TUM KHUL KAR HASOGE"

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    1. अभिनन्दन अजीज़ भाई,बहुत ही सुन्दर पंक्तियों में अपनी बात कही.

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  2. बहुत पते की बात इस कथा में बताई है , मनुष्य को अपने विवेक से काम लेना चाहिये

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  3. शुक्रिया राजेन्द्र जी मेरी कविता को पसंद करने के लिए
    आपका ये लेख पढ़ा . बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए
    ज़िन्दगी की सचाई है इसमें . शब्द भावपूर्ण है .

    विजय
    www.poemsofvijay.blogspot.in

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  4. bahut badi baat kahi hai apne...kehne ko log khud ko modern bolte hain...par aaj bhi andhvishwash say ghire hain

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  5. सटीक सुझाव,अपने सभी कार्य आपने विवेक से करने चाहिए,,,

    Recent post: रंग,

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  6. कथा के माध्यम से सही बात कही है आपने ... अंधविश्वास ठीक नहीं जीवन में ...

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  7. अंधविश्वास ठीक नहीं जीवन में सही बात कही है आपने,अपने सभी कार्य आपने विवेक से करने चाहिए.

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  8. बहुत बढ़िया सन्देश दिया है इस पोस्ट ने (मूसलाधार ).

    दिक्कत यह है यहाँ चुनावी पर्चा दाखिल करने (नामांकन पत्र भरने )से लेकर चुनाव प्रचार के दिन का भी घड़ी मुहूर्त निकलवाया जाता है .कुछ लोग अंधविश्वास बेच रहें हैं ,शोर्ट सप्लाई में है हिन्दुस्तान

    में इसलिए भाव भी महंगा है .

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  9. अंधविश्वास ठीक नहीं जीवन में,बधाइयां.

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  10. बहुत सटीक और सार्थक सन्देश...

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  11. बहुत सुन्दर संदेश दिए हैं कथा के माध्यम से,धन्यबाद।

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  12. बहुत सुन्दर संदेश,समाज में आज भी बहुत अंध विश्वास फैला हुआ है।

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  13. आपका आभार है इतने सार्थक कथा से समझाने के लिए।

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आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!