गुरुवार, 2 मई 2013

चुनावों की तैयारी





चुनावों की तैयारी
चल रही है जोरो पर
आम जनता को
लुभाने के लिए
कितने कारखाने लगवायें हैं
चमकीले लोलिपाप की
टोपी खद्दर पहन कर
निकलेंगे बाहर
भ्रष्ट राजनीती की नालियों से
फिर देंगे झांसा आगे की खुशहाली का
चुटकी भर खुशहाली
पाने की लालच में हम
बिक जायेंगे इन मवालियों के हाथ
जुटा लेंगें अपने चारो तरफ भीड़
गूंज उठेगा मैदान
खरीदी हुई तालियों से,
कागजो पर ही बनायेंगे पुलों के नक्से
देश के नव निर्माण की
करेंगे बड़ी बड़ी बातें
देंगे शांति समृद्धि का आश्वासन
चुनावों के बाद
मिलेगी जब मखमली कुर्सी
भूल जायेंगे किये वादों और आश्वासन को
मौज मस्ती में ठाट से जिएंगें
और जनता का ही खून पियेंगे.

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24 टिप्‍पणियां:

  1. सही व्यंग्य है ,लेकिन सभी भ्रष्ट भी नही होते।

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  2. जनता को राजनेता से विश्वास उठ गया है.
    ज्यादातर नेता ऐसा ही करते है..... बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति!!

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  3. भारत देश के भुत, वर्तमान और भविष्य का कभी भी न बदलने वाला दृष्य।

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  4. बहत सही व्यंग्य
    नेता तो अपना वजूद खो चुकें हैं
    जनता को समझदारी से काम परिचय देना पड़ेगा
    खूब प्रस्तुति

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  5. sach likha hai apne....sab jante samjhte bhi hum bar bar galti kar hi baithte hain

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  6. व्यंगात्मक अंदाज़ में बाखूबी खोला है सच नेताओं का ...

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  7. देश के वर्तमान और भविष्य का कभी भी न बदलने वाला दृश्य बहुत सुंदर प्रस्तुति आभार राजेंद्र जी।

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  8. आज के नेताओं की सही पोल खोलें हैं,यही हाल है.

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  9. आज के नेता लोगो का यहीं हाल है,आम जनता के सुख दुःख को भूल कर अपनी तिजोरी भरने के ही चक्कर में लगे रहते हैं.

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  10. नेता लोग जनता का खून ही तो चूस रहें है,बेहतरीन कविता.

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  11. बहुत ही सटीक और व्यंगात्मक कविता,शुक्रिया.

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  12. बहुत ही सटीक और सार्थक प्रस्तुति,आभार.

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  13. बहुत ही बेहतरीन कविता का सृजन,शुक्रिया मित्रवर.

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  14. बहुत ही सही व्यंग,आज की यही सिथति है.

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  15. कुमारी दीप्ती2 मई 2013 को 2:47 pm बजे

    आहा आज के नेता...बहुत ही सुन्दर कविता.

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  16. आज की यही हकीकत है जनाब,बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण कविता.

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (03-05-2013) के "चमकती थी ये आँखें" (चर्चा मंच-1233) पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  18. जनता एक बार फिर से मौका देगी तो खून क्यूँ नहीं पियेंगे

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  19. नेतायों की पोल खोलती बढ़िया रचना !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    lateast post मैं कौन हूँ ?
    latest post परम्परा

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  20. जनता सब जानती है फिर भी खामोश है। समझ नहीं आता कब बदलेगी तस्वीर!

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  21. bar bar ak sawal jehan me uthta hai janta sab kuch jante huye bhi kuch kyo nahi karti!sundar prastuti

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आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!