मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

"परमात्मा के चरणो में पूर्ण समर्पण"




समर्पण के बिना स्वतंत्रता उपलब्ध नही हो सकती। जब तक परमात्मा के प्रति हम पूर्ण रूप से समर्पित नहीं होते, 'मैं' के अहंकार को नही छोड़ते तब तक हम चारो तरफ से बन्धनों  में जकड़े रहेंगे।  इस मैं का अहंकार छोड़ कर अपने आपको प्रभु-अपर्ण करके ही हम मुक्त हो सकते हैं। 'मैं' को हम परमात्मा के चरणो में चढ़ाकर, 'मैं', नहीं  'तू' कहना और समझना शुरू कर  दें। मैं की  जगह तू को लेट ही दुखों का बोझ मिट जाता है, छूट जाता है। हमेशा उस निरंजन, निराकार, निर्विकार, अनन्त , महान  और दिव्य परमात्मा के साथ रहें, उसके साथ होने का अनुभव करें और पूरी पूर्णता के साथ करें। उस अदृस्य और असीम की  ध्वनि कानों से सुनने कि कोशिश करते रहें।  धीरे-धीरे इस प्रकार के सतत प्रयास से हमें दुःख,शोक और अज्ञान के सभी बंधनों से मुक्त हो कर आनन्द  को उपलब्ध हो जायेंगे। " श्री हरि शरणागति ही सब शुभ अशुभ कर्म बन्धनों से मुक्त होने का एक मात्र मार्ग है। जो शरणागत हुए वे ही तर गए। भगवान् ने उन्हें तारा,उन्हें तारते हुए भगवान् ने उनके अपराध नहीं देखे,उनकी जाति या कुल का बिचार नहीं किया। भगवान् केवल भाव की अनन्यता देखते हैं। "

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13 टिप्‍पणियां:

  1. परमात्मा के चरणो में पूर्ण समर्पण से मुक्ति की प्राप्ति होती है ...!
    RECENT POST -: पिता

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-02-2014) को "गाँडीव पड़ा लाचार " (चर्चा मंच-1521) पर भी होगी!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. पूर्ण समर्पण मुक्ति का रासता है ़़... सच कहा है ...

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  4. भगवान् केवल भाव की अनन्यता देखते हैं.

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  5. जो कुछ है ...सब उसका है..
    सुख-दुःख ...सबकुछ ...

    ~सादर

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  6. hamara kuchh bhi nhi sab Prabhu ka , bas ham mehsoos karte hain.

    shubhkamnayen

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  7. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, पूर्ण सम्पर्ण से ही ईश्वर कि प्राप्ति होती है ।

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  8. बहुत ही ज्ञानवर्धक प्रस्तुति,आभार।

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  9. बहुत ही ज्ञानवर्धक और समरणीय प्रस्तुति,ईश्वर सबका कल्याण करें,आभार।

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  10. सच कहा आपने भगवान केवल भाव देखते हैं
    सुन्दर प्रस्तुति !

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  11. बहुत सुन्दर सारगर्भित आध्यात्मिक सार लिए है यह रचना धारण करने योग्य

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  12. बहुत सुन्दर सारगर्भित आध्यात्मिक सार

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आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!