शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

"स्वतंत्रता दिवस"



प्रिये मित्रों, आज हम सबका स्वतंत्रता दिवस है, स्‍वतंत्रता दिवस ऐसा दिन है जब हम अपने महान राष्‍ट्रीय नेताओं और स्‍वतंत्रता सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं जिन्‍होंने विदेशी नियंत्रण से भारत को आज़ाद कराने के लिए अनेक बलिदान दिए और अपने जीवन न्‍यौछावर कर दिए। 15 अगस्त 1947 को भारत के निवासियों ने लाखों कुर्बानियां देकर ब्रिटिश शासन से स्वतन्त्रता प्राप्त की थी। इस वर्ष हम आजादी की 68वीं वर्ष गांठ मना रहे हैं। आज हम अपने महान राष्ट्रीय नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं - जिन्होंने विदेशी नियंत्रण से भारत को आजाद कराने के लिए अनेक बलिदान दिए और अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।भारत को आजादी दिलाने के लिये शहीद हुए सभी शहीदों और इस आजादी को बरकरार रखने के लिये अपने प्राण गवांने वाले सेना के सभी जवानों को हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई। 
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥ 

कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं। 
उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥ 

हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती। 
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥ 

इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है। 
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥ 

भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं। 
सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥ 

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया। 
पख़्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥ 

बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है। 
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥ 

दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे। 
गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥ 

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें। 
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥
साभार-अटल बिहारी वाजपेयी जी


रविवार, 10 अगस्त 2014

प्यार का बन्धन: रक्षाबन्धन



आज रक्षाबंधन का पावन पवित्र पर्व है। इस पवित्र पर्व के अवसर पर मैं तो अपनी मातृभूमि से बहुत दूर परदेश में हूँ। मेरी अपनी बहने तो नहीं हैं पर यहाँ भी हर वर्ष हमारी धर्म बहने हमें अपनी राखियाँ भेजती हैं। रक्षाबंधन का पर्व पारंपरिक रूप से बहनों व भाइयों के आपसी स्नेह के प्रतीक रूप में मनाया जाता है, लेकिन यह दिन केवल बहन द्वारा भाई को राखी बांधने तक ही सीमित नहीं है। इसके मायने और भी हैं। रक्षाबंधन पर्व को मनाने का उद्देश्य भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की मर्यादा को बनाए रखने के साथ-साथ अपनी प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना भी है।यूं तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं है पर रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बना है। बरसों से चला आ रहा यह त्यौहार आज भी बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
शुभ समय : 10 अगस्त को सुबह से लेकर 1.38 मिनट तक भद्रा काल है। इसके बाद राखी त्योहार मनाना शुभ फलदायी होगा। रविवार का दिन होने के कारण 4.30 से 6 बजे तक राहु काल रहेगा। इसलिए इस समय के बाद भी राखी का त्योहार मनाने से बचना अच्छा होगा। शाम 6.30 से 7.30 तक शुभ और 7.30 से रात 9 बजे तक अमृत का चौघडिया रहेगा। चर के चौघडिया में भी रात 9 से 10.30 बजे तक रक्षासूत्र बांधा जा सकेगा।
लाल गुलाबी रंग है झूम रहा संसार!
सूरज की किरणे खुशियों की बहार!
चाँद की चांदनी अपनों का प्यार,
बधाई हो आपको राखी का त्योहार!

आप सभी को रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
"इस अवसर पर एक मधुर गीत"