गुरुवार, 14 जनवरी 2016

"मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें"

 
मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में अवश्य मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। नेपाल में भी सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भाँति-भाँति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।इस दिन गंगा-स्नान का विशेष महत्व है। 
                         मकर संक्रांति पर रसोई में तिल और गुड़ के लड्डू बनाए जाने की परंपरा है। इसके पीछे बीती कड़वी बातों को भुलाकर मिठास भरी नई शुरुआत करने की मान्यता है।  अगर वैज्ञानिक आधार की बात करें तो तिल के सेवन से शरीर गर्म रहता है और इसके तेल से शरीर को भरपूर नमी भी मिलती है। मकर संक्रांति स्नान के साथ ही दान का भी पर्व है। मौसमी विधान के अनुसार इस तिथि विशेष पर गरम तासीर वाली वस्तुओं के दान  का भी प्रावधान है। दान में काला तिल, खिचड़ी, साग सब्जी, गर्म वस्त्र का विशेष मान है। मान्यता है कि दान से धन धान्य में वृद्धि और मनोकामना पूर्ति होती है। 
बचपन से ही देखता आया हूँ हमारे यहाँ मकर संक्रांति के दिन सुबह उठकर पवित्र स्नान कर सूर्य भगवान को जल अर्पित करने के बाद चावल, दाल और गुड का स्पर्श करते हैं फिर उसे दान करते हैं। तिल और गुड के बने तिलकुट खाने के बाद दही और चिउड़ा(पोहा) को गुड के साथ खाते हैं।चावल और उड़द की खिचड़ी भी घर में बनाया जाता है। पतंगवाजी का भी प्रचलन है पर अब धीरे धीरे कम हो रहा है। इस अवसर पर मेले का भी आयोजन किया जाता है।