रिश्तों की डोर : हाइकू
१.
रिश्तों की डोर
अटूट है बन्धन
टूटे न टूटे
२.
प्रचंड धूप
सुख-दुख का तूफां
अटल प्यार
३.
प्रीत का रंग
सुनहरी किरण
मन चंद्रिका
४.
मन हमेशा
प्रियतम के साथ
नही अकेला
५.
सहज स्नेह
हरपल बरसे
नैनों में दिखे
६.
भवरें गाते
मधुरम संगीत
हर्षित मन
७.
साथ हमारा
चंपा संग चमेली
रहे हमेशा
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बहुत ही उम्दा हाइकू ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
बहुत सुंदर हायकू.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति हाइकू के माध्यम से, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हाइकू, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हाइकु ....
जवाब देंहटाएंरिश्तों का मर्म समझाते हुए सुन्दर हाइकू ... शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंBahut Sunder Haiku
जवाब देंहटाएंसुख-दुख का (तुफां) को (तूफां) कर लें। सुन्दर हैं।
जवाब देंहटाएंधन्यबाद सर
हटाएंअद्भुद शब्द संयोजन ... वाह . आभार।
जवाब देंहटाएंराजेंद्र सर , शानदार
जवाब देंहटाएंप्रश्न ? उत्तर भाग - ४
gaagar me sagar .....ati sundar ...
जवाब देंहटाएंरिस्तों पर बहुत सुन्दर हाइकू|
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मैं
बहुत सुंदर हाइकू।
जवाब देंहटाएंसाथ हमारा
जवाब देंहटाएंचंपा संग चमेली
रहे हमेशा
हाइकु सा जीवन हमारा
खिले हमेशा। सुन्दर प्रस्तुति।
प्रीत का रंग
जवाब देंहटाएंसुनहरी किरण
मन चंद्रिका
बहुत सुन्दर …
सहज स्नेह
हरपल बरसे
नैनों में दिखे
बहुत सही कहा
सभी हाईकू सुन्दर है !
nc sr !
जवाब देंहटाएंis link पर कुछ लाइन्स आपकी तवज्जो चाह रही है --
http://sowaty.blogspot.in/2013/10/blog-post_23.html#gpluscomments
वोव !सुंदर हायकू |
जवाब देंहटाएंमन हमेशा
जवाब देंहटाएंप्रियतम के साथ
नही अकेला
साथ हमारा
चंपा संग चमेली
रहे हमेशा
सुन्दर हाइकु प्रांजल भाव और तदानुरूप भाषा।
"नहीं "लिख लें नही के स्थान पर। आभार।
सहज स्नेह नयनों में दिखे हर पल बरसे।
जवाब देंहटाएंसुंदर हाइकू,
बहुत सुंदर।
सहज स्नेह नयनों में दिखे हर पल बरसे।
जवाब देंहटाएंसुंदर हाइकू,
बहुत सुंदर।
बहुत सुंदर हाइकू राजेन्द्र जी, देर से टिप्पणी के लिए माफ़ी।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी टिपण्णी का शुभ लेखन का। और मंच में हमें जगह देने का।
जवाब देंहटाएंसभी हाइकु बहुत सुन्दर, बधाई.
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा हाइकू...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (29-11-2013) को स्वयं को ही उपहार बना लें (चर्चा -1446) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'