बुधवार, 3 अप्रैल 2013

"खुली आँखों से ख्वाब"





                                                                                                                                                                 
देखता रहा,
खुली  आँखों से ख्वाब
जहां में फैली हुई
हैवानियत के मंजरों को
हर पल होते हुए
कत्ल,चोरी.रहजनी और दुराचार को 
सुख-चैन लूटते हाथों से
मिलती ब्यथाएं अनतुली
थरथराती बुनियादें
दम बेदम फरियादें
खौफ का एहसास कराती
खून से लथपथ हवायें
शाम होते ही
सिमटते सारे रास्ते
मची है होड़ हर तरफ
धोखा,झूठ,फरेब और बेईमानी की
नेकी की राहों में फैली
बिरानगीं और तीरगी का बसेरा
पहलू बदल कर ली अंगडाई
पर न कोई इन्कलाब दिखा
जी रहे हैं सभी यहाँ
आपसी रंजिसों के साथ
भला कब तक ?
ये भी कोई जीना है.
                                                                                                  
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60 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति |
    शुभकामनायें -

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  2. आस पास के माहौल का सही चित्रण किया है.

    सुंदर.

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  3. वर्तमान वास्तव का वर्णन करने वाली सार्थक प्रस्तुति। इंसान को खौपनाक सपनें खुली आंखों से देखने पड रहा है विडंबना को दर्शाता है।

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  4. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति! मेरी बधाई स्वीकारें।

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  5. राजेन्द्र जी ,मवेशियों के चारे के लिए एक पादप वनस्पति है रेप .केबेज फेमिली का यह वार्षिक वनस्पति है जिसे व्यावसायिक पादप के तौर पर उगाया जाता है .इस पर चमकीले पीले पुष्प आते हैं .एक लुब्रिकेंट के रूप में मवेशियों के चारे के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है खाना पकाने में भी यह प्रयुक्त ज़रूर होता है लेकिन गुणवत्ता के हिसाब से यह घटिया समझा जाता है .इसका इस्तेमाल साबुन बनाने में भी होता है .इसके बीज से ही तेल तैयार किया जाता है .इसे कनाडा में विकसित किया गया .उत्तरी अमेरिका इसका सबसे ज्यादा उत्पादन करता है .इसे ही केनोला और इसके तेल को (तिलहन ,और बिनौला का तेल )भी कह दिया जाता है .

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  6. जी रहे हैं सभी यहाँ
    आपसी रंजिसों के साथ

    जी रहे हैं सभी यहाँ
    आपसी रंजिसों के साथ
    ये सारा खेल मायाबेटी (भ्रष्टाचार )ने रचाया है .कचरा भरा हुआ है सब आत्माओं में विकारों का .

    बहुत बेहतरीन प्रासंगिक प्रेक्षण का रूपक प्रस्तुत करती है यह रचना .

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  7. आज के हालात पर बेहतरीन प्रस्तुति,धन्यबाद.

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  8. बहुत ही सार्थक और भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.

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  9. पहलू बदल कर ली अंगडाई
    पर न कोई इन्कलाब दिखा
    बेहतरीन और बेहतरीन प्रस्तुतीकरण.....

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  10. बदलते हालात को हम जागते हुए स्वप्न की तरह ही देख रहें है...बेहतरीन रचना.

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  11. सत्य ही लिखें है,जागते आँखों से ख्वाब देख रहें है आज की बिगड़ते हालात की. किसी ने कहा है ...
    खुली आँखों से ख्वाब देख रही हूँ
    कभी चौंक रही हूँ कभी खिल रही हूँ
    ऐसा लगता है जैसे पास आ गया हो आसमान
    और क्षितिज से जाकर मैं मिल रही हूँ

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  12. इश्वर करे,अगले वर्ष फिर होली तक सारे पर्व साथ मनायें !!
    ---------------------------------------------
    चाहत है,'मनाकाश' में, 'प्यार के परिन्दों' का उड़ना |
    अच्छा लगता है, हकीकत में अपने मन- मीतों से जुडना ||
    --------------------------------------------
    आप की यथार्थ वादी रचना के लिये वधाई !!

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    इंजीनियर प्रदीप कुमार साहनी अभी कुछ दिनों के लिए व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है और आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (03-04-2013) के “शून्य में संसार है” (चर्चा मंच-1203) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर..!

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  14. खुली आँखों से हकीकत देख ली आपने .....
    काश! ये ख्वाब होता ???
    शुभकामनायें!

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  15. .बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार हर पार्टी ही रखे करिश्माई अदा है . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

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  16. जिस हालात में जी रहे है उनका बखूबी चित्रण,आभार.

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  17. आपके ख्वाब में सत्यता है जनाब,बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  18. आपके ख्वाब में सत्यता है जनाब,बेहतरीन अभिव्यक्ति.

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  19. सच लिखा है .. माहोल तो ऐसा ही है ... पर इसके लिए हम सब ही तो जिम्मेवार हैं अधिकतर ... ओर इसका बदलाव भी हमसब से ही आएगा ...

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  20. सच में! हालात बहुत ही खराब हैं....
    सार्थक रचना!
    ~सादर!!!

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  21. खुली आँखों से ख्वाब नहीं सामयिक हालात का मंजर दिख रहा. सार्थक रचना, बधाई.

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  22. बहुत सुन्‍दर वर्णन आधुनिक कुरीति का।

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  23. फिर भी तो किसी को चैन नहीं -सब उछल-कूद कर चुप बैठ जाते हैं!

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  24. न कोई इन्कलाब दिखा
    जी रहे हैं सभी यहाँ
    आपसी रंजिसों के साथ

    मन की व्यथा को परोसती भावना पूर्ण प्रस्तुति.

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आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!