मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

दीवानों की तरह


आप मेरे गलियों में आये हैं दीवानों की तरह,
मैं चला जाऊंगा कहीं  और बहानों  की तरह।

ऐसे न देखिये हमे हम दीवाना हुए जा रहें,

कसम खा के कह रहें हम परवाने हुए जा रहें।

हम तो मर जायेंगे अब यहाँ लाशो की तरह,

आप मेरे गलियों में आये हैं दीवानों की तरह,

ऐसे पलक ना झुकाइए शर्म के ......मारे मारे,

कितना प्यार करते हैं हमे बताइये ऐ  प्यारे।

हम पर भी बरस जाईये  बरसातों  की तरह,

आप मेरे गलियों में आये हैं दीवानों की तरह।

क्यों मिलते हैं हमसे अंजानो को तरह,

आ जाओ पास हमारे दीवानों की तरह।

दिल से जुदा "राज" को पहचानेगे किधर,

आप मेरे गलियों में आये हैं दीवानों की तरह।






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6 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है भाईया बहुत खूब बहुत खूब ये गजल मेरे को बहुत अच्छा लगा ऐसे ही गजल लिखा कीजिये

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  2. आप आये गलियों में, बहुत अच्छा लगा।आज ही आपका ब्लॉग देखा।आशा है आगे भी ऐसे ही दिल को छूने वाली गजले देते रहेंगे। बहुत बहुत धन्यबाद।

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  3. सोचा की कट जाएगी जिन्दगी भवरों की तरह,
    गम दुसरे दिन फिर आ गया दीवानों की तरह।

    वाह क्या बात है बहुत सुन्दर रचना।

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स
    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

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  4. बहुत बढ़िया राजिंदर जी | आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ है | लगता है आगे भी आना पड़ेगा |

    post your greeting with your comments
    नये साल पर कुछ बेहतरीन ग्रीटिंग आपके लिए

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर अव सार्थक ग़ज़ल ,अतिसुन्दर।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुतीकरण.

    जवाब देंहटाएं

आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!