चुनावों की तैयारी
चल रही है जोरो पर
आम जनता को
लुभाने के लिए
कितने कारखाने लगवायें हैं
चमकीले लोलिपाप की
टोपी खद्दर पहन कर
निकलेंगे बाहर
भ्रष्ट राजनीती की नालियों से
फिर देंगे झांसा आगे की खुशहाली का
चुटकी भर खुशहाली
पाने की लालच में हम
बिक जायेंगे इन मवालियों के हाथ
जुटा लेंगें अपने चारो तरफ भीड़
गूंज उठेगा मैदान
खरीदी हुई तालियों से,
कागजो पर ही बनायेंगे पुलों के नक्से
देश के नव निर्माण की
करेंगे बड़ी बड़ी बातें
देंगे शांति समृद्धि का आश्वासन
चुनावों के बाद
मिलेगी जब मखमली कुर्सी
भूल जायेंगे किये वादों और आश्वासन को
मौज मस्ती में ठाट से जिएंगें
और जनता का ही खून पियेंगे.
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सही व्यंग्य है ,लेकिन सभी भ्रष्ट भी नही होते।
जवाब देंहटाएंजनता को राजनेता से विश्वास उठ गया है.
जवाब देंहटाएंज्यादातर नेता ऐसा ही करते है..... बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति!!
भारत देश के भुत, वर्तमान और भविष्य का कभी भी न बदलने वाला दृष्य।
जवाब देंहटाएंबहत सही व्यंग्य
जवाब देंहटाएंनेता तो अपना वजूद खो चुकें हैं
जनता को समझदारी से काम परिचय देना पड़ेगा
खूब प्रस्तुति
बहुत खूब भाई | आभार
जवाब देंहटाएंsach likha hai apne....sab jante samjhte bhi hum bar bar galti kar hi baithte hain
जवाब देंहटाएंव्यंगात्मक अंदाज़ में बाखूबी खोला है सच नेताओं का ...
जवाब देंहटाएंदेश के वर्तमान और भविष्य का कभी भी न बदलने वाला दृश्य बहुत सुंदर प्रस्तुति आभार राजेंद्र जी।
जवाब देंहटाएंआज के नेताओं की सही पोल खोलें हैं,यही हाल है.
जवाब देंहटाएंविल्कुल सही,सटीक है रचना.
जवाब देंहटाएंआज के नेता लोगो का यहीं हाल है,आम जनता के सुख दुःख को भूल कर अपनी तिजोरी भरने के ही चक्कर में लगे रहते हैं.
जवाब देंहटाएंनेता लोग जनता का खून ही तो चूस रहें है,बेहतरीन कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक और व्यंगात्मक कविता,शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक और सार्थक प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन कविता का सृजन,शुक्रिया मित्रवर.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही व्यंग,आज की यही सिथति है.
जवाब देंहटाएंआहा आज के नेता...बहुत ही सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंआज की यही हकीकत है जनाब,बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (03-05-2013) के "चमकती थी ये आँखें" (चर्चा मंच-1233) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जनता एक बार फिर से मौका देगी तो खून क्यूँ नहीं पियेंगे
जवाब देंहटाएंsateek vyangya
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जवाब देंहटाएंनेतायों की पोल खोलती बढ़िया रचना !
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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जनता सब जानती है फिर भी खामोश है। समझ नहीं आता कब बदलेगी तस्वीर!
जवाब देंहटाएंbar bar ak sawal jehan me uthta hai janta sab kuch jante huye bhi kuch kyo nahi karti!sundar prastuti
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