सोमवार, 27 अप्रैल 2015

प्यार का आलम

प्यार का आलम भी क्या आलम होता है की आदमी उसमें डूबता है तो फिर डूबता ही चला जाता है। दोनों एक दूसरे पर सब कुछ निछावर करने के लिए ही गोया जिन्दा रहते हैं। उनका जिन मरना भी एक दूसरे के लिए होता है। प्यार का समर्पण आसमान की ऊचाइयों तक उठा देता है तो उसकी ठोकर गर्त में मिला देने के लिए काफी है

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14 टिप्‍पणियां:

  1. फिर आने लगा याद वो ही प्यार का आलम

    phir aane laga yad wohi pyar ka aalam..Rafi- Usha Khanna- Q J- Iqbal Qureshi
    mastkalandr
    mastkalandr
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  2. फिर आने लगा याद वो ही ,प्यार का आलम

    इंकार का आलम ,कभी इकरार का आलम

    प्यार का आलम।

    वो पहली मुलाकत में रंगीन इशारे ,

    फिर बातों ही बातों में वो तकरार का आलम ,

    फिर आने लगा याद वो ही प्यार का आलम।

    वो झूमता बल खाता हुआ, सर्वे खरामा

    मैं कैसे भुला दूँ तेरी ,रफ़्तार का आलम ,

    फिर आने लगा याद वो ही ,प्यार का आलम ,

    कब आये थे वो कब गए ,

    कुछ याद नहीं है ,आँखों में बसा है वही दीदार का आलम ,

    फिर आने लगा याद वो ही प्यार का आलम।

    https://www.youtube.com/watch?v=-e0Ndoa-xQY

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  3. जी सुन्दर लिखा आप ने ..प्रेम रस के आगे तो सब फीका हो जाता है
    भ्रमर ५

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  4. प्यार में बड़ी ताकत होती हैं ..
    बहुत सुन्दर

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  5. जाच कहा इस मुआमले में पुराने गाने सटीक बैठते हैं । बहुत खूब ।

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  6. प्यार में बड़ी ताकत होती हैं ..
    बहुत सुन्दर

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