दौड़ जीतना तो नहीं,
बल्कि असफलता का परिचय पाना है,
क्योकि इसी के द्वारा मैंने दौड़ना सीखा है।
संदेहों से भयभीत नही होना है,
क्योकि इन्होने ही मुझे दिखाया कि कहाँ पथ संकीर्ण है-
निकल पाना दुष्कर है।
जब भी क्लान्ति और पीड़ा ने घेरा
अपने चतुर्दिक फैली शक्तियों के माध्यम से
मैं अपनी क्षमतावर्द्धन के मार्ग ढूंढ लेता हूँ।
और खड़ा हो जाता हूँ-
विश्व संरचना की पंक्ति में
चकित, विस्मित, पुलकित !