"ॐ नमः शिवाय "
आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनायें ।
महाशिवरात्रि से जुड़ी हुई कई पौराणिक कथाएं भी काफी प्रचलित हैं। एक ऐसी ही प्रेरणादायक कथा है चित्रभानु की। चित्रभानु नाम का एक शिकारी था। वह जंगल के जानवरों का शिकार कर अपना भरण-पोषण करता था। उसने एक सेठ से कर्ज ले रखा था लेकिन चुका नहीं पा रहा था एक दिन सेठ ने उसे शिव मठ में बंदी बना लिया संयोगवश उस दिन महाशिवरात्रि थी लेकिन इसका चित्रभानु को जरा भी भान न था। वह तल्लीनता से शिवकथा, भजन सुनता रहा। उसके बाद सेठ ने मोहलत देकर उसे छोड़ दिया। उसके बाद वह शिकार की खोज में जंगल में निकल पड़ा। उसने एक तालाब के किनारे बिल्व वृक्ष पर अपना पड़ाव डाल दिया। उसी वृक्ष के नीचे बिल्व पत्रों से ढका हुआ एक शिवलिंग भी था। शिकार के इंतजार में वह बिल्व पत्रों को तोड़कर नीचे फेंकता रहा जो शिवलिंग पर गिरते। कुछ शिवकथा का असर कुछ अंजाने में महाशिवरात्रि के दिन वह भूखा प्यासा रहा तो उसका उपवास भी हो गया, बिल्व पत्रों के अर्पण से अंजानें में ही उससे भगवान शिव की पूजा भी हो गई इस सबसे उसका हृद्य परिवर्तन हो गया व एक के बाद एक अलग-अलग कारणों से मृगों पर उसने दया दिखलाई। इसके बाद वह शिकारी जीवन भी छोड़ देता है और अंत समय उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कहानी का निष्कर्ष है कि भगवान शिव शंकर इतने दयालु हैं कि उनकी दया से एक हिंसक शिकारी भी हिंसा का त्याग कर करुणा की साक्षात मूर्ति हो जाता है। कहानी का एक अन्य सार यह भी है कि नीति-नियम से चाहे न हो लेकिन सच्चे मन से साधारण तरीके से भी यदि भगावन शिव का स्मरण किया जाये, शिवकथा सुनी जाये तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उपासक के सभी सांसारिक मनोरथ पूर्ण करते हुए उसे मोक्ष प्रदान करते हैं।
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Har har mahadev
जवाब देंहटाएंBahut hi sundr
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