सिंहादेकं बकादेकं शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।
वायसात्पञ्च शिक्षेच्च षट् शुनस्त्रीणि गर्दभात्॥
पशुओं से बीस गुण सीखना चाहिए (Twenty qualities should be learned from animals)
मनुष्य को सिंह से एक, बगुले से एक, मुर्गे से चार, कौए से पांच, कुत्ते से छः तथा गधे से सात बातें सिखने चाहिए ।-चाणक्य
अर्थात, हमें गुण सीखने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए ताकि हमारे स्वभाव और आचरण में अच्छे गुणों की वृद्धि होती रहे। अगर हममें अच्छे गुण सीखने की लगन हो तो हम कहीं से भी सीख सकते हैं। ऊपर के श्लोक में यही बताया गया है की पशुओं से भी अच्छे गुण सीखा जा सकता है। सिंह से हमे क्या शिक्षा मिलती है चाणक्य मुनि कहते हैं- "कार्य थोड़ा हो या अधिक, उसको पूरा कर देना चाहिये, उसके लिये संध्या और प्रातःकाल का विचार नहीं करना चाहिये। यह शिक्षा सिंह से लेनी चाहिये है। मुर्गे के निम्न गुण हृदयगंम करने की सलाह चाणक्य देते हैं-"बहुत प्रातःकाल में जागना, रण के लिये उद्यत रहना, बन्धुओं को उचित विभाग देना और आप युद्ध करके भोग करना, ये चारों बातें कुक्कुट से सीखनी चाहिये। पांच बातें चतुर काग से भी सीखने के लिये चाणक्य कहते हैं-"छिपकर मैथुन करना, छिपकर चलना, किसी पर विश्वास न करना, सदा सावधान रहना, समय-समय पर संग्रह करना, ये पांच बातें हमें कव्वे से सीखनी चाहिये है। सबसे ज्यादा गुण चाणक्य ने श्वान से सीखने की सलाह दी हैं-"बहुत खाने की शक्ति होना, गाढ़ी निद्रा में रहना, शीघ्र जाग उठना, थोड़े से ही संतोष कर लेना, स्वामी की भक्ति करना, और शूरवीरता ये छहः गुण कुत्ते से सीखने चाहिये। दुनिया भर का बोझ ढ़ोने वाले, शान्त स्वभाव गर्दभ से भी मुनिवर सीखने की सलाह देते हैं-"अत्यंत थक जाने पर भी बोझ ढोते रहना, कभी सर्दी-गर्मी का ध्यान ही न करना, सदा संतोष के साथ विचरण करना, ये तीनों गुण गधे से सीखने चाहिये।
कहने का तातपर्य है जो मनुष्य इन २० गुणों को अपने आचरण और स्वभाव में धारण करेगा वह सब कार्यो में और सभी अवस्थाओं में सफल सिद्ध होगा और विजेता रहेगा।
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