गुरुवार, 7 मार्च 2013

खफा-ए-जिन्दगी



 

 
खफा-ए -जिन्दगी  को भुला कर के  तो देखिए ,
ख्वाबो की दुनियाँ से निकल कर के तो देखिए ।
 
तेरी यादों के  ही  सहारे जी  रहें हैं  अब तलक,
दिल के झरोंखे में कोई दीप जला कर के देखिए। 
 
हम समझ न पाए अब तक आपकी रुसवाई को,
नस्तरे दिल से अपना इल्जाम हटा के तो देखिए।
 
दस्ताने-ए-दिल को मेरी जुबां से  सुना ही नही,
तिलिस्मे बेहिसी को कभी तोड़  के तो देखिए।
 
दर्दे-दिल को सहते हुए कितने सदियाँ गुजर गयी,
अपने माजी के मजार पर कभी आ कर के देखिए।
 
लगता अब उतर जायेंगे लहद में अहबाब के कांधों से,
रब के दर पर मेरे गुनाहों की सजा सुना कर तो देखिये। 
 
 
अर्थ:  तिलिस्मे =भवंर जाल, माजी=अतीत, मजार =कब्र, लहद=कब्र, अहबाब=मित्र जन 
 
 
चलते चलते प्रस्तुत है:
                                करोगे याद गुजरे हसीन यादों को,
                                         तरसोगे हमारे साथ एक पल बिताने को।
                                                         फिर आवाज दोगे हमें बुलाने को,
                                                                 नहीं दरवाजा होगा स्वर्ग से वापस आने का।।


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27 टिप्‍पणियां:

  1. दर्दे-दिल को सहते हुए कितने सदियाँ गुजर गयी,
    अपने माजी के मजार पर कभी आ कर के देखिए।

    खूबसूरत पंक्तियाँ .....
    आपका आभार .....

    जवाब देंहटाएं
  2. behatareen gazal, दर्दे-दिल को सहते हुए कितने सदियाँ गुजर गयी,
    अपने माजी के मजार पर कभी आ कर के देखिए।

    जवाब देंहटाएं
  3. तेरी यादों के ही सहारे जी रहें हैं अब तलक,
    दिल के झरोंखे में कोई दीप जला कर के देखिए। ..

    बहुत खूब ... दिल के दीप जगमगाएंगे तो सब कुछ साफ़ नज़र आएगा ....
    लाजवाब गज़ल है ...

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  4. बहुत खूबसूरत अलफ़ाज़...

    दर्दे-दिल को सहते हुए कितने सदियाँ गुजर गयी,
    अपने माजी के मजार पर कभी आ कर के देखिए।

    दाद स्वीकारें.

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
  6. लगता अब उतर जायेंगे लहद में अहबाब के कांधों से,
    रब के दर पर मेरे गुनाहों की सजा सुना कर तो देखिये। बहुत बढ़िया इन अंतिम पंक्तियों ने समा बांध दिया।

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  7. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल,धन्यबाद है आपको.

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  8. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति,प्रशंसनीय.

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  9. खूबसूरत हैं सब अशआर गजल के .

    दस्ताने-ए-दिल को मेरी जुबां से सुना ही नही,
    तिलिस्मे बेहिसी को कभी तोड़ के तो देखिए।

    दास्ताने दिल को मिरी (मेरी )जुबां से सूना ही नहीं .........बढ़िया प्रयोग है ...दस्ताने -ए -

    दिल ?

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  10. दर्दे-दिल को सहते हुए कितने सदियाँ गुजर गयी,
    अपने माजी के मजार पर कभी आ कर के देखिए।

    बहुत ही उम्दा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  11. लगता अब उतर जायेंगे लहद में अहबाब के कांधों से,
    रब के दर पर मेरे गुनाहों की सजा सुना कर तो देखिये।

    बहुत खूबसूरत अलफ़ाज़...

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  12. बेहतरीन भाव और सुन्दर प्रस्तुती।

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  13. आप सभी को सादर अभिनन्दन और आभार.

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  14. बहुत खूब आपके भावो का एक दम सटीक आकलन करती रचना
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत बढ़िया है आदरणीय राजेन्द्र जी-
    कल शहर से बाहर था-
    सादर |

    जवाब देंहटाएं

आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!