शाही स्नान के साथ ही हमारी कर्मस्थली तीर्थराज प्रयाग (इलाहबाद) मेंगंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर महाकुंभ शुरू होगया।कुंभ मेल हमारा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है,इसमें करोड़ो श्रद्धालु पवित्र जल में स्नान करते है। ऐसी मान्यता है कि कुंभ के पवित्र जल में स्नान से सभी पाप-ताप धुल जाते है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।भारत के चार स्थानों पर,हरिद्वार,प्रयाग,उज्जैन और नासिक में प्रति बारहवें बर्ष इअ मेले का आयोजन होता है।हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वो के बीच छह बर्ष के अन्तराल पर एक अर्धकुंभ का भी आयोजन किया जाता है।चारो पूर्ण कुंभ पूरा होने के बाद 144 बर्षो के बाद एक महाकुंभ का आयोजन होता है,जो तीर्थराज प्रयाग में ही संपन्न होता है।आज वही महाकुंभ का आयोजन हुआ है जो 10 मार्च तक चलेगा।
कुंभ मेलों के पीछे एक पौराणिक कथा भी मान्य है की जब समुद्र मंथन के पश्चात अमृत कलश की प्राप्ति हुई तब इस पर अधिकार जमाने को लेकर देवताओं और असूरों के बीच युद्ध हुआ,इसी क्रम में अमृत की कुछ बूंदे भारत के चार स्थानों पर गिरे।इन अमृत बूंदों के कारण ही इन चारो स्थानों में पवित्र एव रहस्यमयी शक्ति का संचार हुआ और तब से ही लगातार कुंभ मेले का आयोजन होता आ रहा है।
देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले में देश-बिदेश से करोड़ो लोग आ रहे है और संगम तट पर डुबकी लगा रहे है।प्राप्त सूत्रों के अनुसार सुबह में सर्वप्रथम महानिर्वाणी अखाड़े के संतो ने स्नान किया।संगम स्थली पर कई महासंतो का आगमन हुआ है जैसे की चंद्रास्वामी जी,आसाराम बापू , श्री श्री रविशंकर जी,सुधान्सु महाराज,सतपाल महाराज,योगी आदित्यनाथ,स्वामी विमलदेव जी।ये सभी संत संगम मेले में धर्मिक प्रवचन देंगे।
आज मेरा यह दुर्भाग्य ही है की ऐसा पावन मेला हमारी हमारी जन्मस्थली पर आयोजन हुआ और मैं यहाँ परदेश में हूँ,खैर फिर कभी।
"आप सब को लोहड़ी और मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनाएँ।"
कुंभ मेलों के पीछे एक पौराणिक कथा भी मान्य है की जब समुद्र मंथन के पश्चात अमृत कलश की प्राप्ति हुई तब इस पर अधिकार जमाने को लेकर देवताओं और असूरों के बीच युद्ध हुआ,इसी क्रम में अमृत की कुछ बूंदे भारत के चार स्थानों पर गिरे।इन अमृत बूंदों के कारण ही इन चारो स्थानों में पवित्र एव रहस्यमयी शक्ति का संचार हुआ और तब से ही लगातार कुंभ मेले का आयोजन होता आ रहा है।
देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले में देश-बिदेश से करोड़ो लोग आ रहे है और संगम तट पर डुबकी लगा रहे है।प्राप्त सूत्रों के अनुसार सुबह में सर्वप्रथम महानिर्वाणी अखाड़े के संतो ने स्नान किया।संगम स्थली पर कई महासंतो का आगमन हुआ है जैसे की चंद्रास्वामी जी,आसाराम बापू , श्री श्री रविशंकर जी,सुधान्सु महाराज,सतपाल महाराज,योगी आदित्यनाथ,स्वामी विमलदेव जी।ये सभी संत संगम मेले में धर्मिक प्रवचन देंगे।
आज मेरा यह दुर्भाग्य ही है की ऐसा पावन मेला हमारी हमारी जन्मस्थली पर आयोजन हुआ और मैं यहाँ परदेश में हूँ,खैर फिर कभी।
"आप सब को लोहड़ी और मकर संक्राति की हार्दिक शुभकामनाएँ।"
संगम स्नान के कुछ चित्र (गूगल से साभार )
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आपको भी मकर संक्राति की बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रयागराज के सुंदर वर्णन से मन रोमांचित हो उठा,बहुत ही सुंदर।आपको भी मकर संक्राति की बधाई।
जवाब देंहटाएंआपको भी मकर संक्राति की बधाई...
जवाब देंहटाएंआपकी मंगलकामना
हटाएंआपको भी मकर संक्रांति का बहुत - बहुत बधाई हो
जवाब देंहटाएंअति सुंदर,आपको भी मकर संक्रांति की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंनागा बाबा योगि-हठ, पूस माघ का बाघ |
जवाब देंहटाएंपावन बेला कुम्भ की, सब मेलों में घाघ |
सब मेलों में घाघ, राग रागिनी बजी है |
त्रिवेणी सौन्दर्य, दिशा दस सजी-धजी है |
धर्म आस्था तीव्र, आज जन जन में जागा |
ईष्ट-मित्र संग पहुँच, नहीं कर भैया नागा ||
महाकुम्भ ...सबके लिए मंगलमय हो
जवाब देंहटाएंबहुत सारे धन्यबाद।
हटाएंहमारे ब्लॉग का अवलोकन करने के लिए बहुत बहुत धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुतीकरण.
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