मेरे दिल के समन्दर में कभी उतर कर देखा होता,
कभी प्यार के दो बोल बोलकर ही देखा.....होता.
मेरी वफाओं को मेरी नजर से देखा ही नही,
तुम कभी मुझ से दूर जाकर ही सोचा होता.
इश्क व मोहब्बत का सागर है ...अथाह,
कभी तुम इसमें उतर क़र ही देखा होता.
प्यार का मतलब जानने से कुछ पहले,
मेरे साथ दो कदम चल के ही देखा होता.
मेरे गम को अब तुम क्या महसूस करोगे,
मेरे दिल की बगिया में आ क़र ही देखा होता.
क्या पता था हम सिर्फ मजाक ही है उनके लिए,
मीठी जुबा से हकीकत ही बयाँ क़र दिया.. होता.
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बहुत सुन्दर भाव...
जवाब देंहटाएंधन्यबाद मित्रवर
हटाएंक्या पता था हम सिर्फ मजाक ही है उनके लिए,
जवाब देंहटाएंमीठी जुबा से हकीकत ही बयाँ क़र दिया.. होता
अंतिम पंक्तियाँ थोड़ी तल्ख़ मगर काफी अच्छी :-)
सुन्दर भावाभियक्ति !
साभार !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति जनाब
जवाब देंहटाएंआपका आभार
हटाएंकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार।
हटाएंवाह राजेंद्र जी अच्छी रच प्रभावशाली भी
जवाब देंहटाएंधन्यबाद
हटाएंराजेंद्र जी शुक्रिया! काश ! मैं आपके ब्लॉग पर पहले आ पाता!!! बहुत खुबसूरत गजल .
जवाब देंहटाएंअहो भाग्य हमारे,आप ब्लॉग पर पधारे।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअपना हमसफ़र जाना ,इबादत भी करी जिनकी
चलतें दो कदम संग में ,सहारे भी दिए होते
जीने का नजरिया फिर अपना कुछ अलग होता
गर अपनी जिंदगी के गम ,सारे दे दिए होते
बहुत ही सुन्दर ,धन्यबाद।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रसतुति लगी भइया धन है आपकि बिचार
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया।
हटाएंआभार आपकी सद्य टिपण्णी का :
जवाब देंहटाएंमेरे दिल के समन्दर में कभी उतर कर देखा होता,
कभी प्यार के दो बोल बोलकर ही देखा.....होता.
मेरी वफाओं को मेरी नजर से देखा ही नही,(नहीं ).....
तुम कभी मुझ से दूर जाकर ही सोचा होता.
इश्क व मोहब्बत का सागर है ...अथाह,
कभी तुम इसमें उतर क़र ही देखा होता.
प्यार का मतलब जानने से कुछ पहले,
मेरे साथ दो कदम चल के ही देखा होता.
मेरे गम को अब तुम क्या महसूस करोगे,
मेरे दिल की बगिया में आ क़र ही देखा होता.
क्या पता था हम सिर्फ मजाक ही है (हैं )उनके लिए,
मीठी जुबा (ज़ुबां )से हकीकत ही बयाँ क़र दिया.. होता.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है अर्थ और विचार की रचना में .
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल.
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