उतेजना ,भावना और जोश हमारी मानवीय गुण हैं जीवन में हम कभी कभी बहुत ही जोशिलें हो जाते हैं. क्या सही है क्या बुरा इसका ख्याल ही नहीं रह जाता है. जोश में आना बुरा नही है परन्तु होश के साथ.बिना होश का जोश विनाशक होता है.इसका बैज्ञानिक कारण यह है की जब हम जोश में होश खोते हैं तो उस स्थिति में हमारी श्वाँस की लय बिगड़ जाती है ,हमारे मस्तिष्क में आक्सीजन की आपूर्ति नही हो है.इसका परिणाम यह होता है की दिमाग सही निर्णय नही ले पता है की क्या बुरा है सही और हमारे से गलत कार्य हो जाता है.इसी बात पर आज के नेता(हमारे कर्णधार) की कहानी को लेते हैं......... नाव चली जा रही थी। बीच मझदार में नाविक ने कहा,
"नाव में बोझ ज्यादा है, कोई एक आदमी कम हो जाए तो अच्छा, नहीं तो नाव डूब जाएगी।"
अब कम हो जए तो कौन कम हो जाए? कई लोग तो तैरना नहीं जानते थे: जो जानते थे उनके लिए नदी के बर्फीले पानी में तैर के जाना खेल नहीं था।
नाव में सभी प्रकार के लोग थे-,अफसर,वकील,, उद्योगपति,नेता जी और उनके सहयोगी के अलावा आम आदमी भी।
सभी चाहते थे कि आम आदमी पानी में कूद जाए।
उन्होंने आम आदमी से कूद जाने को कहा, तो उसने मना कर दिया।
बोला, जब जब मैं आप लोगो से मदत को हाँथ फैलता हूँ कोई मेरी मदत नहीं करता जब तक मैं उसकी पूरी कीमत न चुका दूँ , मैं आप की बात भला क्यूँ मानूँ? "
जब आम आदमी काफी मनाने के बाद भी नहीं माना, तो ये लोग नेता के पास गए, जो इन सबसे अलग एक तरफ बैठा हुआ था।
इन्होंने सब-कुछ नेता को सुनाने के बाद कहा, "आम आदमी हमारी बात नहीं मानेगा तो हम उसे पकड़कर नदी में फेंक देंगे।"
नेता ने कहा, "नहीं-नहीं ऐसा करना भूल होगी। आम आदमी के साथ अन्याय होगा। मैं देखता हूँ उसे - नेता ने जोशीला भाषण आरम्भ किया जिसमें राष्ट्र,देश, इतिहास,परम्परा की गाथा गाते हुए, देश के लिए बलि चढ़ जाने के आह्वान में हाथ
ऊँचा करके कहा,
ये नाव नहीं हमारा सम्मान डूब रहा है "हम मर मिटेंगे, लेकिन अपनी नैया नहीं डूबने देंगे… नहीं डूबने देंगे…नहीं डूबने देंगे"….
सुनकर आम आदमी इतना जोश में आया कि वह नदी के बर्फीले पानी में कूद पड़ा।
"दोस्तों पिछले 65 सालो से आम आदमी के साथ यही तो होता आया है "
"नाव में बोझ ज्यादा है, कोई एक आदमी कम हो जाए तो अच्छा, नहीं तो नाव डूब जाएगी।"
अब कम हो जए तो कौन कम हो जाए? कई लोग तो तैरना नहीं जानते थे: जो जानते थे उनके लिए नदी के बर्फीले पानी में तैर के जाना खेल नहीं था।
नाव में सभी प्रकार के लोग थे-,अफसर,वकील,, उद्योगपति,नेता जी और उनके सहयोगी के अलावा आम आदमी भी।
सभी चाहते थे कि आम आदमी पानी में कूद जाए।
उन्होंने आम आदमी से कूद जाने को कहा, तो उसने मना कर दिया।
बोला, जब जब मैं आप लोगो से मदत को हाँथ फैलता हूँ कोई मेरी मदत नहीं करता जब तक मैं उसकी पूरी कीमत न चुका दूँ , मैं आप की बात भला क्यूँ मानूँ? "
जब आम आदमी काफी मनाने के बाद भी नहीं माना, तो ये लोग नेता के पास गए, जो इन सबसे अलग एक तरफ बैठा हुआ था।
इन्होंने सब-कुछ नेता को सुनाने के बाद कहा, "आम आदमी हमारी बात नहीं मानेगा तो हम उसे पकड़कर नदी में फेंक देंगे।"
नेता ने कहा, "नहीं-नहीं ऐसा करना भूल होगी। आम आदमी के साथ अन्याय होगा। मैं देखता हूँ उसे - नेता ने जोशीला भाषण आरम्भ किया जिसमें राष्ट्र,देश, इतिहास,परम्परा की गाथा गाते हुए, देश के लिए बलि चढ़ जाने के आह्वान में हाथ
ऊँचा करके कहा,
ये नाव नहीं हमारा सम्मान डूब रहा है "हम मर मिटेंगे, लेकिन अपनी नैया नहीं डूबने देंगे… नहीं डूबने देंगे…नहीं डूबने देंगे"….
सुनकर आम आदमी इतना जोश में आया कि वह नदी के बर्फीले पानी में कूद पड़ा।
"दोस्तों पिछले 65 सालो से आम आदमी के साथ यही तो होता आया है "
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और ना जाने आम आदमी के साथ बेबकुफ़ बनाने का सिलसिला कब तक जारी रहेगा ......
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें !!
जीवन के सार्थक सत्य की जानकारी दी आपने
जवाब देंहटाएंबधाई
भाई बेवकूफों की कमी नहीं इस देश में .... बच कर रहना ही अक्लमंदी है इन जैसों से | आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंसही कहानी है :)
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें
बहुत खूब राजेन्द्र भाई सही व्यंग्य विडंबन आज के राजनीतिक धंधे बाजों पर .
जवाब देंहटाएंअभिनव प्रोद्योगिकी के साथ अभिनव प्रयोग होते ही रहेंगे .SITE का असर भी दूर -शिक्षा ,दूर -शिक्षण पर कम नहीं पडा था .अभिनव प्रयोग आइन्दा भी होते ही रहेंगे .
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी आलेख और कहानी,आभार.
जवाब देंहटाएंआज के नेता ऐसे ही अपने भाषण से आपको चने के झाड पर चढा देंगे,आभार.
जवाब देंहटाएंनेता लोग तो जनता को वेवकूफ ही तो बना रहें है,जितना दूर रहें भलाई है.
जवाब देंहटाएंजोश में होश खोने पर तो परेशानी होती ही है.लाभप्रद प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति,सुन्दर संदेश.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा है सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंनेता लोग ६५ सालों से यही कर रहे हैं ... आगे भी करते रहेंगे जब तक बेवाकूफ नहीं जागते ...
जवाब देंहटाएंsundar sujhaw ,besak jos aur zoonun me hosh khone vale bad me pachtate hai,holi ki hardik mangal kamna
जवाब देंहटाएंजोश में होश खोने पर उल्टा ही होता है,बहकावे न आकर स्वविवेक से कामलेना चाहिए.
जवाब देंहटाएंआम जनता को सार्थक संदेश देती रचना.धन्यबाद.
जवाब देंहटाएंऐसे भी हैं देश में ,लेकिन बहुत कम। आजकल सब समझदार हो गये हैं।
जवाब देंहटाएंराजेंद्र जी प्रासंगिक विषय को उठाया है। जोश में होश खो जाए तो हमेशा नुकसान उठाना पढता है। परंतु कभी-कभार लोग जानबूझ कर सामाजिक उत्पात करते हैं। जोश में गलत हो जाए तो भी नुकसान पर होशहवास के साथ जबरदस्त नुकसान। समाज में लोगों को ईश्वर सदबुद्धि दे यहीं अपेक्षा।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामंनाएँ!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामंनाएँ!
बहुत उम्दा सराहनीय विषय,आज देश में यही तो हो रहा है ,,
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए....
Recent post : होली में.
बहुत बढ़िया और सटीक व्यंग्य......होली मुबारक
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
जवाब देंहटाएंसही कटाक्ष किया है राजेन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंओह!! इस बार भी आक्सीजन की आपूर्ति कम पड गई!!
जवाब देंहटाएंसच्ची बात कही है आपने !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! होली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! लघुकथा ने वास्तविकता को जिस तरह रेखांकित किया है वह अतुलनीय है।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं!
होली की शुभकामना
जवाब देंहटाएंwah ! sundar prastuti....holi ki shubkamnayein...
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