चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया
जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया
सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया
आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया
आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया
गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी
यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया
यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया
चलते चलते...
बोलो फिर कैसे कटे, यह जीवन की रात
सुना रहा है हर कोई, बस मुर्दों की बात.
सुना रहा है हर कोई, बस मुर्दों की बात.
आभार-कुँअर बेचैन
"आप सब को नव सवंत्सर २०७० की हार्दिक मंगलकामनायें"
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बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंआपका आभार.
हटाएंअब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
जवाब देंहटाएंयूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया .... वाह
आपका स्वागत है इस ब्लॉग पर आदरेया.
हटाएंइस नज्म हम सब के लिए शेयर करने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंआपका भी शुक्रिया मित्र.
हटाएंसच कहा गम मिलते हैं तो निकलती है शायरी। यहां मैं शायरी का अर्थ साहित्य को लेकर ले रहा हूं। लेखक जितना पीडित, दुःखी, अभाव में रहता है उतना ही अच्छा लिखता है। कारण पीडितों का सुनने के लिए किसी के पास समय नहीं तो वह कागजों पर उतारना पसंद करता है।
जवाब देंहटाएंअपने विचार प्रस्तुत करने के लिए आपका शुक्रिया.
हटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायेँ ।
जवाब देंहटाएंआपको भी नवरात्र की मंगलकामनाये आदरणीय.
हटाएंअच्छी गजल, इसमें शामिल करने के लिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंआभार आपका.
हटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 13/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपका सादर अभिनन्दन.
हटाएंअब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
जवाब देंहटाएंयूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया ...
वाह ... लाजवाब शेरों से सज्जित गज़ल ... ये खेर बहुत खाद लगा ...
धन्यबाद आदरणीय.
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना भाई जय माता दी खासकर ये दो अशआर दिल को छू गए इनके लिए विशेष दाद कुबुले फरमाएं.
जवाब देंहटाएंआँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया
आपका आभार है मित्रवर...
हटाएंवाह ... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
हटाएंइतनी अच्छी रचना के लिए आपको भी शुक्रिया :)
जवाब देंहटाएंआपका भी सादर आभार.
हटाएंराजेद्र भाई बहुत सुन्दर ग़ज़ल | बेहद उम्दा | आफरीन
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
जवाब देंहटाएंनजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया ............बहुत बढ़िया।
आभार विकेश जी.
हटाएं...नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंधन्यबाद आदरेया.
हटाएंबहुत उम्दा ग़ज़ल...हरेक शेर दिल को छू जाते हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बेहतरीन शेर,आभार.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मित्र.
हटाएंआँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
जवाब देंहटाएंनजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया
bahut hi khubsurat sher,abhar.
आभार शुक्रिया.
हटाएंबहुत ही सुन्दर बेहतरीन,नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंमनोज जी आपको भी नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल.नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुतीकरण.नवरात्रि की हार्दिक मनोकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंआपको भी नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंअब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
जवाब देंहटाएंयूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया,
इतनी बेहतरीन शेर के लिए आपको भी शुक्रिया जनाब.
आपको भी नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति....आप को भी नव सवंत्सर २०७० की हार्दिक मंगलकामनायें
जवाब देंहटाएंआपको भी नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंक्या ग़ज़ल की प्रस्तुति दिए हैं बहुत बहुत आभार.आप को भी नव सवंत्सर २०७० की हार्दिक मंगलकामनायें
जवाब देंहटाएंक्या खूब कहा...बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंचोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया
आपको भी नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंआपका आभार है आदरणीय.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपका शुक्रिया !!
जवाब देंहटाएंनव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल ,नवरात्री और नववर्ष की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंlatest post वासन्ती दुर्गा पूजा
LATEST POSTसपना और तुम
बढ़िया गजल बन्दुवर
जवाब देंहटाएंhttp://guzarish66.blogspot.in/2013/04/1.html
आती न तुम-----राह में आने का शुक्रिया’
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,चोट भी खाई और हंस कर
झुलसाते झंझावात,जीवन है या आग है
जवाब देंहटाएंऐसे में दो पल रस बरसाने का शुक्रिया.....
आभार आदरणीय...
बहुत सुन्दर। लाजवाब!
जवाब देंहटाएंजितना कहा जाए उतना ही कम है
लिखने के इस अंदाज का शुक्रिया!
आपको ढेरों साधुवाद इस खूबसूरत नज़्म के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना
पधारें "आँसुओं के मोती"