अब गए वक़्त क़े हर ग़म को भुलाया जाए
प्यार ही प्यार को परवान चढ़ाया जाए
आग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
पहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए
सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए
आतशी झील में खिल जाएँ मुहब्बत के कँवल
अब कोई ऐसा ही माहौल बनाया जाए
सिर्फ़ ज़ुल्मों की शिकायत ही करोगे कब तक
पहले मज़लूम की असमत को बचाया जाए
साज़िशें फिरती हैं कितने मुखौटे पहने
उनकी चालों से सदा ख़ुद को बचाया जाए
प्यार ही प्यार को परवान चढ़ाया जाए
आग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
पहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए
सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए
आतशी झील में खिल जाएँ मुहब्बत के कँवल
अब कोई ऐसा ही माहौल बनाया जाए
सिर्फ़ ज़ुल्मों की शिकायत ही करोगे कब तक
पहले मज़लूम की असमत को बचाया जाए
साज़िशें फिरती हैं कितने मुखौटे पहने
उनकी चालों से सदा ख़ुद को बचाया जाए
**************************
अब मेरा दिल कोई मजहब न मसीहा मांगे
ये तो बस प्यार से जीने का सलीका माँगे
ऐसी फसलों को उगाने की जरूरत क्या है
जो पनपने के लिए खून का दरिया माँगे
सादर आभार: अजीज आजाद
Place Your Ad Code Here
bahut khub,आतशी झील में खिल जाएँ मुहब्बत के कँवल
जवाब देंहटाएंअब कोई ऐसा ही माहौल बनाया जाए,nice
सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंसाज़िशें फिरती हैं कितने मुखौटे पहने
जवाब देंहटाएंउनकी चालों से सदा ख़ुद को बचाया जाए
..बिलकुल सही कहा आपने ...
बहुत बढ़िया चिंतन ..
लाजवाब रचना | बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंसरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
जवाब देंहटाएंअब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए..
बहुत खूब ... सच कहा है ये किस्मत की लकीरें नहीं हैं ... इन्हें तोड़ा जा सकता है आसानी से ..
सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
जवाब देंहटाएंअब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए,,,
वाह!!!बहुत सुंदर रचना,,,
RECENT POST : बेटियाँ,
bahut sundar vichar" dodti ke nam pr dushmno ko bulaya jaye,ji bhar ke unhe gale se lagaya jaye.....(Aziz)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति,शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंसरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
जवाब देंहटाएंअब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाय
बहुत ही शुन्दर शेर,बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति.
आपकी यह रचना कल मंगलवार (28 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंआतशी झील में खिल जाएँ मुहब्बत के कँवल
जवाब देंहटाएंअब कोई ऐसा ही माहौल बनाया जाए aamin ...
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
पहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए-----
सकारात्मक सोच और संदेश देती रचना
बहुत सुंदर
बधाई
आग्रह है---
तपती गरमी जेठ मास में---
अब गए वक़्त क़े हर ग़म को भुलाया जाए
जवाब देंहटाएंप्यार ही प्यार को परवान चढ़ाया जाए
सुन्दर आह्वान.
लाजवाब सुन्दर रचना |बधाई
जवाब देंहटाएंआग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
जवाब देंहटाएंपहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए-----
सकारात्मक सोच और सार्थक संदेश देती रचना,धन्यबाद.
Bahut hi sundar ghazal ki prstuti,abhar.
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar ghazal ki prstuti,abhar.
जवाब देंहटाएंसाज़िशें फिरती हैं कितने मुखौटे पहने
जवाब देंहटाएंउनकी चालों से सदा ख़ुद को बचाया जाए
सामाजिक विषमताओं को शब्दों के चित्र में बखूबी उकेरा गया है. इस बेहतरीन गज़ल को साझा करने के लिए आदरणीय राजेंद्र जी, बहुत बहुत आभार....
खुबसूरत नज्म...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना आभार
जवाब देंहटाएंहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की अचंम्भित करने वाली जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये एक बार अवश्य पधारें
टिप्पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें MY BIG GUIDE
शीर्ष पोस्ट
गूगल आर्ट से कीजिये व्हाइट हाउस की सैर
अपनी इन्टरनेट स्पीड को कीजिये 100 गुना गूगल फाइबर से
मोबाइल नम्बर की पूरी जानकारी केवल 1 सेकेण्ड में
ऑनलाइन हिन्दी टाइप सीखें
इन्टरनेट से कमाई कैसे करें
इन्टरनेट की स्पीड 10 गुना तक बढाइये
गूगल के कुछ लाजबाब सीक्रेट
गूगल ग्लास बनायेगा आपको सुपर स्मार्ट
आग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
जवाब देंहटाएंपहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए
aapsi prem va karatyva ka sachcha sandesh liye ek achhi rachna
shubhkamnayen
superb one.........
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति.
सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
जवाब देंहटाएंअब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए
...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
जवाब देंहटाएंअब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए
बहुत अच्छी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएं