सोमवार, 27 मई 2013

आग नफ़रत की



अब गए वक़्त क़े हर ग़म को भुलाया जाए
प्यार ही प्यार को परवान चढ़ाया जाए

आग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
पहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए


सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए

आतशी झील में खिल जाएँ मुहब्बत के कँवल
अब कोई ऐसा ही माहौल बनाया जाए

सिर्फ़ ज़ुल्मों की शिकायत ही करोगे कब तक
पहले मज़लूम की असमत को बचाया जाए

साज़िशें फिरती हैं कितने मुखौटे पहने
उनकी चालों से सदा ख़ुद को बचाया जाए

    **************************   

अब मेरा दिल कोई मजहब न मसीहा मांगे
ये तो बस प्यार से जीने का सलीका माँगे
ऐसी फसलों को उगाने की जरूरत क्या है
जो पनपने के लिए खून का दरिया माँगे   
                                सादर आभार: अजीज आजाद

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29 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khub,आतशी झील में खिल जाएँ मुहब्बत के कँवल
    अब कोई ऐसा ही माहौल बनाया जाए,nice

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  2. साज़िशें फिरती हैं कितने मुखौटे पहने
    उनकी चालों से सदा ख़ुद को बचाया जाए
    ..बिलकुल सही कहा आपने ...
    बहुत बढ़िया चिंतन ..

    जवाब देंहटाएं
  3. सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
    अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए..

    बहुत खूब ... सच कहा है ये किस्मत की लकीरें नहीं हैं ... इन्हें तोड़ा जा सकता है आसानी से ..

    जवाब देंहटाएं
  4. सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
    अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए,,,

    वाह!!!बहुत सुंदर रचना,,,

    RECENT POST : बेटियाँ,

    जवाब देंहटाएं
  5. bahut sundar vichar" dodti ke nam pr dushmno ko bulaya jaye,ji bhar ke unhe gale se lagaya jaye.....(Aziz)

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति,शुक्रिया.

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  7. सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
    अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाय

    बहुत ही शुन्दर शेर,बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी यह रचना कल मंगलवार (28 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

    जवाब देंहटाएं
  9. आतशी झील में खिल जाएँ मुहब्बत के कँवल
    अब कोई ऐसा ही माहौल बनाया जाए aamin ...

    जवाब देंहटाएं

  10. आग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
    पहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए-----

    सकारात्मक सोच और संदेश देती रचना
    बहुत सुंदर
    बधाई


    आग्रह है---
    तपती गरमी जेठ मास में---

    जवाब देंहटाएं
  11. अब गए वक़्त क़े हर ग़म को भुलाया जाए
    प्यार ही प्यार को परवान चढ़ाया जाए


    सुन्दर आह्वान.

    जवाब देंहटाएं
  12. लाजवाब सुन्दर रचना |बधाई

    जवाब देंहटाएं
  13. आग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
    पहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए-----

    सकारात्मक सोच और सार्थक संदेश देती रचना,धन्यबाद.

    जवाब देंहटाएं
  14. साज़िशें फिरती हैं कितने मुखौटे पहने
    उनकी चालों से सदा ख़ुद को बचाया जाए

    सामाजिक विषमताओं को शब्दों के चित्र में बखूबी उकेरा गया है. इस बेहतरीन गज़ल को साझा करने के लिए आदरणीय राजेंद्र जी, बहुत बहुत आभार....

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुन्‍दर और सार्थक रचना आभार
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र की अचंम्भित करने वाली जानकारियॉ प्राप्‍त करने के लिये एक बार अवश्‍य पधारें
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  16. आग नफ़रत की चमन को ही जला दे न कहीं
    पहले इस आग को मिल-जुल के बुझाया जाए


    aapsi prem va karatyva ka sachcha sandesh liye ek achhi rachna

    shubhkamnayen

    जवाब देंहटाएं
  17. सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
    अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए

    ...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

    जवाब देंहटाएं
  18. सरहदें हैं कोई क़िस्मत की लकीरें तो नहीं
    अब इन्हें तोड़ के बिछड़ों को मिलाया जाए

    जवाब देंहटाएं

आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!