तलफ्फुजों की जिरह और बयान के झगड़े।
गजल की जान न ले लें जबान के झगड़े।।
गजल की जान न ले लें जबान के झगड़े।।
जब धूप का समन्दर कुल आसमान पर है।
ऐसे में, इक परिन्दा पहली उड़ान पर है।।
ऐसे में, इक परिन्दा पहली उड़ान पर है।।
या रब तू ही बचाना आफत सी जान पर है,
फिर तीर इक नजर का तिरछी कमान पर है।
फिर तीर इक नजर का तिरछी कमान पर है।
उस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
दरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है।
दरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है।
राजेन्द्र से भले ही वाकिफ न हो जमाना,
गजलों का उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है।
गजलों का उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है।
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सर पे जिम्मेदारियों का बोझ है, भारी भी है।
डगमगाते पाँवों से लेकिन सफर जारी भी है।
डगमगाते पाँवों से लेकिन सफर जारी भी है।
आभार :आर.तिवारी
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राजेन्द्र से भले ही वाकिफ न हो जमाना,
जवाब देंहटाएंगजलों का उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है।
बहुत खूब!!
बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बहुत बेहतरीन गजल !!आभार .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बहुत बेहतरीन गजल राजेंद्र जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंउस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
दरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है
वाह, क्या जुमला है...बहुत खूब...
उस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
जवाब देंहटाएंदरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है।------
बेहतरीन रचना
बधाई
वाह बहुत सुंदर गजल ,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: नूतनता और उर्वरा,
खूबसूरत ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंvah kya ghazal ki prstuti,atisundar.
जवाब देंहटाएंउस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
जवाब देंहटाएंदरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है
क्या बात है बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति.
राजेन्द्र से भले ही वाकिफ न हो जमाना,
जवाब देंहटाएंगजलों का उसकी चर्चा सबकी जुबान पर है.
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति.
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल,आपका आभार.
जवाब देंहटाएंग़ज़ल में बहुत दम है बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,आपका सादर आभार.
जवाब देंहटाएंउस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
जवाब देंहटाएंदरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है।
बहुत ही सुन्दर...आभार.
बहुत खूब!!! बेहतरीन ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंसुन्दर गजल !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाई साहब |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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आनंद आ गया गजल पढ़ कर। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंजब धूप का समन्दर कुल आसमान पर है।
जवाब देंहटाएंऐसे में, इक परिन्दा पहली उड़ान पर है।।
...बहुत खूब! बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
उस पार से मुहब्बत आवाज दे रही है,
जवाब देंहटाएंदरिया उफान पर है दिल इम्तिहान पर है........बहुत सुन्दर
itna sundar likha hai apne
जवाब देंहटाएंki ab ye humari zaban par hai