१. मन्दिर में भगवान की ओर नहीं अपने जूते-चप्पल की ओर विशेष ध्यान दें। सिर्फ छुट्टे -चिल्लर अपने पास रखें, भीख-मंगों से बच गया तो आप हीं के काम आएंगे।
२. सैलून में हजाम से प्रेमपर्वक बातें करें, क्योंकि उस्तरा उसके हाथ में होता है।
३. समारोहों में भाषण के बदले भत्ता और भोजन की ओर भागें। आप लाभ में रहेंगे।
४. राजनीति में जाने से पहले "इमानदारी और सच्चाई" दोनों शब्दों की अपनी डिक्सनरी में से काट दें। आप और देश दोनों के हक में अच्छा रहेगा।
५. घर में एक अच्छा सा कुत्ता जरुर पोसें। क्योंकि परिवार में कुत्ता हीं सब से बफादार होता है।
६. सत्संग में बैठे हों तो आजू-बाजूवालों को अपनी बातों में उलझाए रखिए। क्योंकि सत्संग के बाद बगलवाले भक्तों के दिमाग में आप ही छाए रहेंगे। प्रवचन तो आपने उन्हें सुनने ही नहीं दिया।
७. डीप कलर का रंगीन गगल्स जरुर धारण करें। फिर बुरी नजरों से किसी को भी जी भर कर घूरें। जिसको आप घूरेंगे, वह विल्कुल भाँप नहीं पाएगा।
८. बस, ट्रेन, प्लेन आदि में विपरीत लिङ्गी के साथ ही बैठें, हो सकता है, आप को कुछ नयाँ अनुभव मिले।
९. नए लेखक, जिनकी रचनाएं न छपती हो, अपने पुलिंग नाम को स्त्रीलिंग में बदल लें। और स्त्रीलिंग नाम से रचनाएं भेजा करें, देखते-देखते आप धडल्ले से छपने लगेंगे।
१०. आप के पास फालतू के पैसे हों तो किसी सहकारी बचत संस्था में खाताधारी सदस्य बन जाईए। हर रोज आप के पास कोई परी रकम वसूल करने आएगी। निश्चय मानिए, आपकी रकम डूबने से पहले आप खुद किसी परी के प्रेम में डूब जाएंगे। अलबत्ता आप में कुछ पुरुषोंचित गुण तो होने ही चाहिए।
११. काम कोई न हो तो चेहरा गम्भीर बनाकर बैठ जाईए। लोग समझेंगे, आप बहुत बडे चिन्तक हैं।
१२. आजकल सच्चा मित्र और सच्चा गुरु जल्दी मिलना असम्भव है। इसलिए इन दोनों सम्बन्धों को आँख मूँदकर स्वीकार न करें या इसका पालन-पोषण न करें।
१३. मान लीजिए आप लाईन में खड़े हैं, आप के पीछे कोई सुन्दरी युवती वेचैन खड़ी हो तो उसकी बेचैनी दूर कर दीजिए। हो सके तो उस युवती का काम आप स्वयं सम्भाल लें।
१४. जब जाडा जवानी पर हो और श्रीमती जी ने दूध उवालने के लिए दूध को अकेला छोड दिया हो, तो ऐसी अवस्था में आप झटपट अपने ठिठुरते हुए हाथ सेक सकते है। दूध को उफन कर गिरने से भी बचा लें। आप की श्रीमती जी सोचेंगे, वेचारा कितना अच्छा घरेलू जानवर है।
१५. लोगों को सुनाते हुए, दोस्तों को भरपेट गाली दीजिए। सब लोग समझेंगे- शायद लंगोटिया यार से बात कर रहा है। इस तरह अपना भंडास निकालते रहिए। मजा तो तब है, जिसको गाली दे रहे हैं, वह भी आप को यार ही समझेगा।
१६. जिस घर में अतिथि बन कर जाएँ, वहाँ का भोजन और वहाँ के बच्चों की खूब प्रशंसा करें, चाहे वह झूठी ही क्यों न हो। गृहिणी खुश होगी और आप का घर में आनाजाना सहज और सुखद रहेगा।
१७. जैसे ही मौका मिले, आप आपनी प्रशंसा खुद शुरु कर दें। दूसरो को कहाँ फुरसत है- जो अपना काम छोडकर आपकी प्रशंसा करते रहें।
१८. अपने बच्चों को स्कूल छोडने खुद जाएं, उहाँ चुन-चुन कर सुन्दर-सुन्दर मिस से मिठी-मिठी बातचीत करके अपने नीरस जीवन को सरस बनाएं। इससे आप का मानसिक स्वास्थ्य भी बिलकुल चकाचक रहेगा।
१९. घर में बच्चों को गलती ही सही, आप खुद पढाइए। वैसे भी बच्चों को स्कूल में गलत ही ज्यादा पढाया जाता है। आप ने कुछ गल्तियाँ और जोड दीं तो कौन सा पहाड टूट जाएगा – बच्चे आप को अनपढ गंवार नहीं समझेंगे।
२०. कभी-कभी बच्चों के साथ खेल लिया कीजिए। लेकिन बचपन में की गई गलती को खेल में न दोहराएं। फायदा आप को होगा। बैठे-बिठाए बच्चों की नजर में आप एक अच्छे खिलाडी बन जाएंगे।
२१. बीबी से प्यार नहीं हो, तो भी प्यार का नाटक तो कर हीं सकते हैं। इससे आप की कलाकारिता में बढोतरी होगी। फायदा ही फायदा होगा। इसका साइड इफेक्ट नहीं होता।
२२. गृहणिया ध्यान दें- अचानक घर में गेस्ट आ गए। दाल कम पड जाए तो उस में पानी मिलाकर परोसने से बेहतर है, दाल का आइटम ही गायब कर दीजिए। सब्जी और रोटी खिलाकर गेस्ट को टरका दीजिए। बेशरम होगा तो भी फिर दुबारा आते समय बहुत सोचेगा।
२३.सड़े हुए फलफूल अतिथि को प्रेमपूर्वक प्रस्तुत कीजिए। मगर परोसते समय जरुर बडबडाइये- आजकल मनमाना भाव लेकर भी अच्छी चीज बनिए नहीं देते। सब के सब साले ठग की औलाद हैं।
२४. यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं तो आँफिस समय में ही अपने सारे निजी काम निपटा लें। बारबार चाय पीए और बारबार शौचालय में घूस जाएं। आँफिस छोडकर केश कटवाने चले जाएं। इसी बीच मार्केटिङ भी कर लें। किसी से मिलना-जुलना हो तो व भी निपटा लें। आखिर घरगृहस्थी चलाने के लिए ही तो आदमी नौकरी करता है। आँफिस में महिला कर्मचारी हो तो उससे खूब गप्पे मारिये और अपनी बीबी की खूब शिकायत कीजिए।
२५. किसी भी सभा-समारोह में बोलने का मौका न छोडे। भले ही आप को क्या बोलना चाहिए, उसका पता नहीं हो। विषय की जानकारी हो तो ऐरागैरा कोई भी बोल लेगा। आप विषयवस्तु की आवश्यक जानकारी के बगैर बोलें तब मना जाएगा, आप वकई प्रतिभाशाली हैं।
(कृप्या इसे गम्भीरता पूर्वक न पढकर केवल मनोरंजन के तौर पर लें।किसी के भावना को ठेस पहुचाना हमारा उद्देश्य नही है।)
(कृप्या इसे गम्भीरता पूर्वक न पढकर केवल मनोरंजन के तौर पर लें।किसी के भावना को ठेस पहुचाना हमारा उद्देश्य नही है।)
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हा हा हा
जवाब देंहटाएंबढ़िया
शानदार प्रस्तुति....हा हा हा
जवाब देंहटाएंक्या बात है,बहुत ही सुन्दर,शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंha...ha...ha .
जवाब देंहटाएंशानदार व्यंग !!!
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... बातें तो सभी मानने वाली हैं ...
जवाब देंहटाएं....सब नोट कर लिया हमने!
जवाब देंहटाएंजय हो महाराज .. ऐसे प्रवचन सुन के हम तो तर गए ... बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंrecent post : मैनें अपने कल को देखा,
जवाब देंहटाएंअगर इसे गंभीरता से लिया तो कयामत आ जायेगी,,,
: मैनें अपने कल को देखा,
Really it is wonderful thoughts which is appreciated very much.
जवाब देंहटाएंराजेंद्र जी बहुत उपयोगी और वर्तमान युग की छोटी-छोटी चीजों का चुनाव आपके सूक्ष्म अध्ययन का परिचय दे रहा है।
जवाब देंहटाएंVery Nice!
जवाब देंहटाएंहमने इन मुकुन्द आचार्य को अपना गुरू बना लिया है :)
जवाब देंहटाएंअब से इनके प्रवचन नियमित सुना व गुना करेंगे.
शानदार !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया .....बुरा क्यूँ लगेगा , हँसना भी जरुरी है
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा.....
जवाब देंहटाएंमजा आ गया पढ़ कर
.
मजेदार व्यंग्य
हा हा हा हा.....
जवाब देंहटाएंमजा आ गया पढ़ कर
.
मजेदार व्यंग्य