कहाँ चला गया बचपन का वो समाँ यारो!
कि जब ज़मीन पे जन्नत का था गुमाँ यारो!
बहार-ए-रफ़्ता को अब ढूँढें कहाँ यारो!
कि अब निगाहों में यादों की है ख़िज़ाँ यारो!
समंदरों की तहों से निकल के जलपरियाँ
कहाँ सुनाती है अब हमको लोरियाँ यारो!
बुझा-बुझा -सा है अब चाँद आरज़ूओं का
है माँद-माँद मुरादों की कहकशाँ यारो!
उफ़क़ पे डूबते सूरज के खूँ की लाली है
ठहर गये हैं ख़लाओं के क़ारवाँ यारो!
भटक गये थे जो ख़ुदग़र्ज़ियों के सहरा में
हवस ने उनको बनाया है नीम जाँ यारो!
ग़मों के घाट उतारी गई हैं जो ख़ुशियाँ
फ़ज़ा में उनकी चिताओं का है धुआँ यारो!
तड़प के तोड़ गया दम हिजाब का पंछी
झुकी है इस तरह इख़लाक़ की कमाँ यारो!
ख़ुलूस बिकता है ईमान-ओ-सिदक़ बिकते हैं
बड़ी अजीब है दुनिया की ये दुकाँ यारो !
ये ज़िन्दगी तो बहार-ओ-ख़िज़ाँ का संगम है
ख़ुशी ही दायमी ,ग़म ही न जाविदाँ यारो !
क़रार अहल-ए-चमन को नसीब हो कैसे
कि हमज़बान हैं सैयाद-ओ—बाग़बाँ यारो!
हमारा दिल है किसी लाला ज़ार का बुलबुल
कभी मलूल कभी है ये शादमाँ यारो !
क़दम-क़दम पे यहाँ अस्मतों के मक़तल हैं
डगर-डगर पे वफ़ाओं के इम्तहाँ यारो!
बिरह की रात सितारे तो सो गये थे मगर
सहर को फूट के रोया था आसमाँ यारो!
चलते चलते यारों ….
क्यों न देखे हुए ख़्वाबों में ही खो कर देखें।
आभार-मनोहर शर्मा
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BAHUT KHOOD RAJENDRAJI
जवाब देंहटाएंWonderful.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ग़ज़ल और अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंसमंदरों की तहों से निकल के जलपरियाँ
जवाब देंहटाएंकहाँ सुनाती है अब हमको लोरियाँ यारो! ..
लाजवाब ... किन पुरानी बातों में ले गए आप राजेन्द्र जी ...
सभी शेर दिल को छूते हैं इस गज़ल के ...
भावनाओं से भरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut umda
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर भावनाओं से भरी अभिव्यक्ति राजेंद्र जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है भाई राजेन्द्र जी-
जवाब देंहटाएंआभार-
bahut hraday sparshi rachana.
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar prstuti,dhnybad.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंअति सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति को शुभारंभ : हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 1 अगस्त से 5 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा
Dhnaybad sir....
हटाएंbahut shaandaar sir..
जवाब देंहटाएंEid Mubarak..... ईद मुबारक...عید مبارک....
waah janab!
जवाब देंहटाएंpoori bazm aapki huee
:)
बहुत सुन्दर ग़ज़ल .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (12.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंआभार-
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