ताकत पे सियासत की ना गुमान कीजिये,
इन्सान हैं इन्सान को इन्सान समझिये।
यूँ पेश आते हो मनो नफरत हो प्यार में,
मीठे बोल न निकले क्यूँ जुबां की कटार से।
खुद जख्मी हो गये हो अपने ही कटार से,
सच न छुपा पाओगे अपने इंकार से।
आँखें भुला के दिल के आईने में झाकिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान ही समझिये।
कैसी ख़ुशी है आप को ऐसे आतंक से ?
कैसा सकुन बहते हुए खून के रंग से ?
तलवारों खंजरों में क्यूँ किया सिंगार है,
आप भी दुश्मन हैं आपके इस जंग में।
खुद से न सही अपने आप से डरिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान समझिये।
खुद का शुक्र है आप भी इन्सान हैं,
इंसानियत से न जाने क्यूँ अनजान हैं।
शुक्र कीजिये की खुदा मेहरबान है,
वरना आप कौन ? क्या पहचान है।
सच यही है, अब तो ये जान लीजिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान समझिये।
बेहद शानदार गजल राजेंद्र जी, आभार।
जवाब देंहटाएंखुबसूरत प्रस्तुति भाई राजेन्द्र जी, आभार।
जवाब देंहटाएंबहूत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गजल ,राजेंद्र जी .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : नई अंतर्दृष्टि : मंजूषा कला
सुंदर !
जवाब देंहटाएंइंसान हैं कि नहीं
यही तो बस अभी
तक पता नहीं
आप कहते हैं तो
चलिये मान लेते हैं
इंसान को इंसान
समझने में वैसे तो
होती है कोई खता नहीं !
बहुत सुंदर गजल,आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय राजेन्द्र जी-
नव रात्रि की शुभकामनायें-
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंनवरात्री की शुभकामनाएँ :-)
सुन्दर प्रस्तुति-आभार आदरणीय राजेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गजल ,राजेंद्र जी .नवरात्री की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंbahut hi behtrin ghazal ki rachna
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही सुंदर गजल !
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
बढ़िया,सुन्दर।
जवाब देंहटाएंThanks friend...
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति!!शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंlatest post: कुछ एह्सासें !
नई पोस्ट साधू या शैतान
मन को ऊर्ध्वगामी बनाती रचना।
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार गजल राजेंद्र जी,शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... गूच गहरी बातें सहज ही लिख दी हैं इन पंक्तियों में ...
जवाब देंहटाएंवाह वाह - बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसशक्त भावाभिव्यक्ति संवाद करती हुई अपने वक्त से।
जवाब देंहटाएंक्या बात है राजेन्द्र भाई तालिबान (छात्र )होने का मतलब समझा दिया।
जवाब देंहटाएंक्या बात है राजेन्द्र भाई तालिबान (छात्र )होने का मतलब समझा दिया। अब इंसानों के बस्ती में तालिबान ही होते हैं।
thanks for your comments.Could not post comments on that neatly written article on sleep disturbance .
जवाब देंहटाएंअद्यतन महत्वपूर्ण जानकारी।
जवाब देंहटाएंBahut Hi Achha Laga, Thnak You Kumar Ji.
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