मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

"सब्र का फल मीठा होता है।"






निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु,
लक्ष्मीः स्थिरा भवतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा,
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः॥

"नीति में निपुण मनुष्य चाहे निंदा करें या प्रशंसा, लक्ष्मी आयें या इच्छानुसार चली जायें, आज ही मृत्यु हो जाए या युगों के बाद हो परन्तु धैर्यवान मनुष्य कभी भी न्याय के मार्ग से अपने कदम नहीं हटाते हैं॥"

कहने का तात्पर्य यह है की सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए धैर्य धारण  अनिवार्य रूप से जरूरी है क्योकि इस मार्ग पर चलने वाले को पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और सफलतापूर्वक सामना करने के लिए धैर्य का होना नितांत आवश्यकता होता है। अगर धैर्य टूट जाए तो व्यक्ति एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकेगा। धैर्य की  मजबूत रस्सी पकड़ कर ही व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुँच सकता है। धैर्य धारण करना तब सरल और सम्भव होता है जब एक तो व्यक्ति यह विवेक रखता हो कि इस न्याय मार्ग पर चलने का परिणाम निश्चित रूप से शुभ और मंगलकारी ही होगा और दूसरे, उसमे साहस भी हो कि न्याय युक्त मार्ग पर चलते हुए जो भी कठिनाइयां और बढ़ाएं सामने आए, बिना विचलित हुए उनका डट कर सामना कर  सके। यह ध्रुव सत्य है कि धैर्य धारण करने वाले की अंत में विजय होती ही है। कहा  भी गया है की "सब्र का फल मीठा होता है।" 
                  सब्र यानि धैर्य धारण करने से इष्ट कार्य सफल होता है, मनोवांछित लक्ष्य पूर्ण होता है। धर्य धारण करने से मन स्थिर रहता है जिससे कार्य को दक्षता पूर्वक करने और सम्पूर्ण होने तक करने की  प्रेरणा और शक्ति मिलती है। जो धैर्य धारण नहीं कर  पाते  वे किसी भी कार्य को पूरा नहीं कर पाते और बीच में ही निराश होकर कार्य को अधूरा छोड़ देते हैं। इसी संदर्भ में एक कहानी पर मनन करते हैं  …… 
एक व्यक्ति ने ठेकदार को ट्यूबवेल खोदने का ठेका दिया। अनुमान था कि लगभग १०० फुट खोदने पर पानी निकल आएगा पर १०५ फुट खोदने पर भी पानी नहीं निकला तो उस व्यक्ति का  धैर्य टूट गया। उसने ठीकेदार से दूसरी जगह खुदाई कराए,दूसरी जगह पर भी १०० फुट खोदने पर पानी नही निकला तो तीसरी जगह खुदाई शुरू करा दी। तीसरी जगह  ९० फुट  खुदाई हो चुकी थी तब उस व्यक्ति का एक मित्र वहाँ पहुंचा और बोला पानी निकला या नहीं। वह व्यक्ति बोला-कहाँ यार तीन तीन जगह खुदाई करवा ली पर पानी नहीं निकला। इस पर मित्र बोला-भले आदमी, धैर्य रख कर एक ही जगह पर खुदाई जारी  रखता तो पानी कभी का निकल आता। तीन जगह कि मेहनत एक ही जगह पर होती तो पानी अवश्य हीं निकल आता। अतः कार्य पूरा तक  धैर्य का साथ नही छोड़ना चाहिए।  



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12 टिप्‍पणियां:

  1. धैर्य का महत्त्व समझाते हुए बहुत ही अच्छी कहानी प्रस्तुतु की है आपने ... अच्छा लगा पूरा लेख ...

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  2. अति सुन्दर बोध प्रदायी प्रस्तुति। आभार आपकी टिप्पणियों का।

    इस पर मित्र बोला-भले आदमी, धैर्य रख कर एक ही जगह पर खुदाई जारी रखता तो पानी कभी का निकल आता। तीन जगह कि मेहनत एक ही जगह पर होती तो पानी अवश्य हीं निकल आता। अतः कार्य पूरा तक धैर्य का साथ नही छोड़ना चाहिए।

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  3. धैर्य का महत्त्व समझाते हुए बहुत ही अच्छी कहानी प्रस्तुतु की है आपने ...
    अच्छा लगा पूरा लेख पढ़ कर
    हार्दिक शुभकामनायें

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन क्या होता है काली बिल्ली के रास्ता काटने का मतलब - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. आ० राजेन्द्र सर , बढ़िया बात आपने लिखी है , धन्यवाद
    Information and solutions in Hindi

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  6. बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...

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  7. बढ़िया विश्लेषण परक बोध कथा। आभार आपका हमें चर्चा मंच में खपाने का।

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  8. बहुत ही सुन्दर और प्रेरणाप्रद प्रस्तुती,आभार।

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  9. अति सुन्दर बोध प्रदायी प्रस्तुति।

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आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!