ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।
आप सभी को माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें।
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बहुत सुन्दर राजेन्द्र जी। बहुत ही सुन्दर। आपको वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बहुत सुन्दर श्लोक प्रस्तुत किया है आपने।
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर. वसंत पंचमी की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (25-01-2015) को "मुखर होती एक मूक वेदना" (चर्चा-1869) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसन्तपञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार अादरणीय।
हटाएंआभार अादरणीय।
हटाएंआपको भी शुभकामनायें ॥
जवाब देंहटाएंसुन्दर श्लोक ...
जवाब देंहटाएंब्सब्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें ...
सुन्दर स्तुति ! जय माँ शारदे !
जवाब देंहटाएंआपको भी शुभकामनायें ॥
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंसुंदर स्तुति....माँ सरस्वती सभी पर ज्ञान रूपी आशीर्वाद बरसाती रहें!!
जवाब देंहटाएंउम्दा....बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
मुकेश की याद में@चन्दन-सा बदन
सुन्दर मनोहर शुभं
जवाब देंहटाएंअध्यात्म की ओर ले जाने वाली पोस्ट।
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