"आप सभी दोस्तों को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ"
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात
महाशिवरात्रि पर एक कथा इस प्रकार भी प्रचलित है।
पुराणों में महाशिवरात्रि के बारे में कई कथाएँ हैं. उनमें से एक कथा के अनुसार एक बार विष्णु जी तथा ब्रह्मा जी में श्रेष्ठता को लेकर विवाद होने लगा. ब्रह्मा जी का मत था कि वह श्रेष्ठ हैं और विष्णु जी कहने लगे कि वह श्रेष्ठ हैं. ब्रह्मा जी तथा विष्णु जी के विवाद को सुनकर भगवान शिव एक लिंग के रुप में प्रकट हुए. यह शिवलिंग एक प्रकाश स्तम्भ के रुप में प्रकट हुआ था. ब्रह्माजी और विष्णु जी दोनों उस प्रकाश स्तम्भ के आदि तथा अंत की खोज में लग गए. लेकिन उन्हें प्रकाश स्तम्भ का आदि तथा अंत कुछ भी नहीं मिला.
ब्रह्मा जी ने इसके लिए झूठ का सहारा लेने की कोशिश की. उनकी इस हरकत से भगवान शिव क्रोधित हो गये और उन्होंने ब्रह्मा जी का पाँचवां सिर काट दिया. भगवान शिव के क्रोध को शांत करना कठिन कार्य था. इस पर विष्णु जी ने शिवजी का पूजन तथा उनकी आराधना की. बहुत दिन तक आराधना करने पर भगवान शिव विष्णु जी से प्रसन्न हुए. जिस दिन शिव प्रसन्न हुए उस दिन को महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाने लगा.
आप सभी की हर मनोकामनाएं देवो के देव भगवान शिव पूरी करें।
"हर हर महादेव"
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Har har mahadev
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