हर ख़ुशी की आँखों में आँसू मिले,
एक ही सिक्के के दो पहलू निकले।
कौन अपनाता मिला दुर्गन्ध को,
हर किसी की चाह है खुशबु मिले।
अपने अपने हौसले की बात है,
सूर्य से भिड़ते हुए जुगनू मिले।
रेत से भी निकल सकता है तेल,
चाहत है वो कहीं बालू---- मिले।
आँकियें उन्माद -मद -तूफ़ान का,
सैकड़ो उड़ते हुए तम्बू----- मिले।
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बढ़िया है राजेन्द्र भाई-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
सादर आभार।
हटाएंबहुत ही सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति,धन्यबाद.
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