मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

दूरियाँ



 







पिघलती बर्फ पर चलना
जितना मुश्किल है,
उससे अधिक मुश्किल है
तुम्हारी आँखों को पढ़ना।
सारे शब्द
जंगल के वृक्षों पर
मृत सर्पों की तरह लटके हैं
क्योंकि ये तुम तक किसी तरह
पहुँच नहीं सकते
और जो मुझ तक
पहुँचते हैं
वे सिर्फ दस्तक देते हैं
द्वार खुलने की प्रतीक्षा नहीं करते।
******************

माना  की  प्यार  मेरा  इक  धोखा  है ...
कुछ धोखे भी बहुत हसीन हुआ करते है।                                  (आभार-कालांतर) 

 
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25 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 27/02/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  2. सुन्दर प्रस्तुति |
    आभार आदरणीय ||

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  3. बहुत ही सारगर्भित रचना,बड़े ही गुढ़ शब्दों का संयोजन किये है.

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  4. अद्भुत सोच की कल्पना एवं शब्दों का अनूठा प्रयोग

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर और सार्थक रचना शेयर किये है,आभार।

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  6. शब्दों का सुन्दर संयोजन,धन्यबाद।

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  7. सार्थक प्रस्तुती बहुत अच्छी रचना आन्नद मय करती रचना

    मेरी नई रचना

    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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  8. बहुत ही सुन्दर कविता,उम्दा प्रस्तुति।

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  9. प्याद धोखा हो ये जरूरी नहीं ... शब्दों की दस्तक न सुनी हो ये जरूरी तो नहीं ...
    अच्छा लिखा है ...

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  10. बेहद ही भावपूर्ण सार्थक रचना.

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  11. मुबारका ! बहुत ही प्यारी कविता,धन्यवाद हमारे।

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  12. बहुत ही प्यारी कविता,आभार।

    जवाब देंहटाएं
  13. अद्भुत सोच और उसकी सुन्दर अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  14. सुन्दर और सार्थक रचना शेयर किये है,आभार।

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई

    आज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है

    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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  16. जीवन का एक सच ये भी... बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति, शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं

आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!