हम क्या थे अब क्या हो गए हैं यारों,
भूल अपनी मर्यादा
बेपर्दा हो गए यारों।
अब साये से भी डर
लगने लगा है यारों।चारो तरफ है फैला जुर्म का काला साया,
रौशनी की फ़िक्र करता
नही है अब कोई,
हर तरफ तूफां का आलम
सा है यारों।
लूट-खसोट,अत्याचार
का है बाजार गर्म,
दरवाजे तो है बंद
जाएँ तो किधर यारों।
उठ रहा हर तरफ बेबसी
का धुंआ ही धुआं,
अब तो साँस लेना भी
हो गया दूभर यारों।
तन पर न हो कपड़ा
पावों से ढक लेंगे लाज को,
पर पावों को भी
खिचने वाले हैं बहुत यारों।
रोज ही नए नए मंजर
सामने आने लगे है,
हँसते हँसते ही लोग
चिल्लाने लगे हैं यारों।
देख दुर्दशा देश की
बहुत दूर निकल आयें,
सात समन्दर पार भी
न चैन आया यारों।
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चलते चलते ..........
अब तो घबड़ा के यह कहते है कि मर जायेंगे,
मर कर भी चैन न पाया तो किधर जायेंगे।
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राजेंद्र जी अच्छा प्रयास | बधाई
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
धन्यबाद आपका।
हटाएंयारो चारो ओर हैं, भरे चोर मक्कार |
जवाब देंहटाएंरहना इनके बीच है, ये ही तो सरकार |
ये ही तो सरकार, *सपदि सरकस सर काटे |
सिंह-शावकों बीच, नीच टुकड़े कर बाँटे |
सात समंदर पार, वहाँ भी मारो मारो |
बसते रिश्तेदार, प्यार से कटिए यारो ||
*तुरंत
धन्यबाद आपका,सादर ।
हटाएंसमाज मे हो रही असामाजिक घटनाओ का सजीव वर्नन है ।आप अपनी मन की व्यथा को रखने मे कामयाब हुए है।
जवाब देंहटाएंधन्यबाद आपका.
हटाएंबहुत ही बेहतरीन गजल...
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
हटाएंलूट-खसोट,अत्याचार का है बाजार गर्म,
जवाब देंहटाएंदरवाजे तो है बंद जाएँ तो किधर यारों।,,,,,बहुत उम्दा गजल,सराहनीय प्रयास,बधाई
RECENT POST बदनसीबी,
आज के बिगड़ते हालात पर सुंदर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंपावों को खीचने वालों से ही परेशान है समाज,अतिसुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अव सार्थक ग़ज़ल ,अतिसुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंशब्द विहीन कर दिया
सादर
यशोदा
पधारें
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
http://yashoda4.blogspot.in/
http://4yashoda.blogspot.in/
http://yashoda04.blogspot.in/
स्वागत है आपका।
हटाएं..बहुत सुन्दर रचना...बधाई!
जवाब देंहटाएंसादर आभार है आपका।
हटाएंमन की चिंता वाज़िब है आपकी .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
सादर आभार है आपका।
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति है, आपने ग़ज़ल के रूप में दरशाया है , और पुरे दुनियाँ को बताया है , बहुत - बहुत धन्यबाद
जवाब देंहटाएंAaj ke haaloto par khoobsurat Rachna...
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post.html
बहुत अच्छा आप लिखतेँ हैँ यारोँ
जवाब देंहटाएंशालिन कथन पढ , चैन मिलता इससे ज्यादा क्या कहे यारोँ ।
धन्यबाद के अलावा अब क्या कह सकता हूँ यारों।
हटाएंबार बार पढने को दिल करता है आपकी ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंदेख दुर्दशा देश की बहुत दूर निकल आयें,
जवाब देंहटाएंसात समन्दर पार भी न चैन आया यारों।........ बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना!
Sundar Gazal.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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