दौड़ जीतना तो नहीं,
बल्कि असफलता का परिचय पाना है,
क्योकि इसी के द्वारा मैंने दौड़ना सीखा है।
संदेहों से भयभीत नही होना है,
क्योकि इन्होने ही मुझे दिखाया कि कहाँ पथ संकीर्ण है-
निकल पाना दुष्कर है।
जब भी क्लान्ति और पीड़ा ने घेरा
अपने चतुर्दिक फैली शक्तियों के माध्यम से
मैं अपनी क्षमतावर्द्धन के मार्ग ढूंढ लेता हूँ।
और खड़ा हो जाता हूँ-
विश्व संरचना की पंक्ति में
चकित, विस्मित, पुलकित !
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असफलता ही सफलता का रास्ता दिखाती हैं...बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना
जवाब देंहटाएंकविता और कवि को ह्रदय से नमन।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब। शानदार रचना की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित रचना, जीवन में ऊर्जा रहे तो हर नामुमकिन को मुमकिन किया जा सकता है, बधाई.
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....
उम्मिदों से ही जीवन है। सुंदर प्रस्तुति...
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