बड़ी मन्नतों के बाद
घर में आयी एक नन्ही सी कली
रूप सलोना चेहरे पर थी मुस्कान
घर आँगन हुआ उपवन
नन्ही किलकारियों से
गुंज उठा घर आँगन
मिला हमेशा लाड दुलार
पाल पोस बनाया फूलों सा
एक दिन बनी किसी के गले की हार
नये घर गयी लक्ष्मी मी तरह
पर किया गया तानों से स्वागत
रूप गुण का न किसी ने किया ख्याल
गाड़ी भर न लायी दहेज
इसका है सबको मलाल
मारपीट,दुत्कार का दिया उपहार
मानवता भूल दानवता पर सब उतरे
दिन पर दिन बीते
कब तक सहती ये अत्याचार
खुनी दांतों के बीच बेचारी
दरिंदो ने कर दिया प्राणों का अंत
दहेज की बलिवेदी पर
एक अबला का हुआ अंत
न जाने कितनी ही बेटियाँ
हर रोज हो रही है बलिदान
क्या हो गया है मानवता का अंत
दहेज प्रथा है एक अभिशाप
खुल कर करे इसका बिरोध।
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दहेज प्रथा बहुत बुरा प्रभाव डालती हैँ ! ।
जवाब देंहटाएंबडे आश्चर्य की बात हैँ कि दहेज प्रथा मेँ नारी का शोषन होता हैँ और इसे बढानेँ मेँ सबसे बडा हाथ नारी का ही होता हैँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और मार्मिक चित्रण किया आपने इस कविता में | बधाई |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आवश्यकता कविता की प्रशंसा करने की नहीं बल्कि उस आह्वाहन का समर्थन किया जाना चाहिए जो इस कविता के माध्यम से किया गया है।
जवाब देंहटाएंदहेज प्रथा पर बहुत ही ह्दयविदारक लेख है ।दहेज प्रथा का हमेसा से विरोध करता हु और करता रहुगा ।
जवाब देंहटाएंदुर्गा यह नवजात है, सबला सिंह सवार |
जवाब देंहटाएंहर विपदा का कर सके, निश्चय ही प्रतिकार |
निश्चय ही प्रतिकार, सजा दरबार देखिये |
करे शत्रु संहार, भक्त हित प्यार देखिये |
रक्षो कन्या भ्रूण, कहीं बोले ना मुर्गा |
मानवता की रात, करे लम्बी यह दुर्गा ||
दहेज प्रथा आज की बहुत ही ज्वलंत समस्या है,मार्मिक चित्रण किये है.
जवाब देंहटाएंदहेज प्रथा सचमुच में एक अभिशाप है,बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंदहेज की समस्या आज भी हमारे समाज का मुहं चिढा रही है ,अच्छी भावपूर्ण रचना !!
जवाब देंहटाएंकहीं कहीं स्त्री आज भी यांत्रणाओं की शिकार है । मार्मिक चित्रण ।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसामाजिक व्यभिचार के प्रति मार्मिक प्रतिवेदन नहीं हुंकार कीजिए अब .शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार की हमारे विचार से आप सब सहमत हैं,आज इस प्रथा ने ऐसी भयावह रूप ले लिया है की कुछ शब्दों में लिखना मुश्किल है.
जवाब देंहटाएंयह वाकई अभिशाप है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति दहेज प्रथा पर आज के दुनिया में बहुत बडा अभिशाप है ,
जवाब देंहटाएंअच्छी भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक चित्रण,आभार है आपका।
जवाब देंहटाएंसच में भयावह है दहेज प्रथा की समस्या,बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुती,अतिसुन्दर प्रयास।
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्द ... बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार,दहेज प्रथा समाज पर एक कोढ़ की तरह है जो दिन पर दिन भयावह रूप लेती जा रही है।
जवाब देंहटाएंBahut hi marmik prstuti di hai sar ji,Dhnyabad.
जवाब देंहटाएंएक ऐसी बुराई जो समाज को खा रही है ...
जवाब देंहटाएंइसका अंत जरूर होना चाहिए ओर पहल पुरुष समाज को ही करनी होगी ...
अच्छी भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/02/blog-post_11.html
Bahut hi achchha prsng uthaya hai,aaj ki bdi smsya pr.
जवाब देंहटाएंBahut acchi rachna ki hai. Mere bhi kuch yahi vichar hain apne blog par dahej ke khilaf.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी टिपण्णी के लिए बेहतीन पोस्ट के ज्ञानवर्धक विश्लेषण के लिए
जवाब देंहटाएंशायद ही कोई विरले मिल जाय,नही तो दहेज़ कौन नही लेता,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST... नवगीत,
Do not know who are responsible . Time has come for action.
जवाब देंहटाएंआप ने पहेली को पहेली की तरह छोड़ दिया है., इसे रोकने या बन्द करने का उपाय भी बताते तो ज्यादा बेहतर रहता। लेकिन समस्या को अच्छी तरह उजागर किया है। इसके लिये आप धन्यवाद के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआज पांच लिंकों का आनंद अपना 200 अंकों का सफर पूरा कर चुका है.. इस विशेष प्रस्तुति पर अपनी एक दृष्टि अवश्य डाले....
आपने लिखा...
और हमने पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 02/02/2016 को...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
आप भी आयीेगा...
आज पांच लिंकों का आनंद अपना 200 अंकों का सफर पूरा कर चुका है.. इस विशेष प्रस्तुति पर अपनी एक दृष्टि अवश्य डाले....
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इस लिये आप की रचना...
दिनांक 02/02/2016 को...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
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